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दीपोत्सव: उत्थान का पर्व

      डा. निधि माहेश्वरी

दीपावली एक ऐसा पर्व जो अपने साथ लाता है अनगिनत दीयों का प्रकाश ,चारों और रोशनी ही रोशनी, जिसका इंतजार हम सभी बेसब्री से करते हैं। जब प्रकृति में अमावस्या की घनी काली रात का अंधेरा छाया होता है ,तब सारी धरती पर दीयों व झालरों का प्रकाश जगमगाता रहता है।

हमारी संस्कृति में सारे त्यौहार किसी न किसी विशेष कारण से मनाए जाते हैं। ये कारण आध्यात्मिक होने के साथ वैज्ञानिक भी होते हैं। जहां अंधेरा बुराइयों का प्रतीक है वहीं दीपावली के दीयों की रोशनी जीवन में विजय का प्रतीक है। दीपोत्सव एक ऐसा पर्व है जो सृष्टि में सभी जनजाति का उत्थान लेकर आता है।

ऐसा माना जाता है कि जुलाई – अगस्त की उमस भरी गर्मी के बाद जब सितम्बर – अक्टूबर में तापमान थोड़ा कम होने लगता है तो ये तापमान विभिन्न जीवाणुओं, विषाणुओं और सूक्ष्मदर्शी जीवों के लिए अनुकूल हो जाता है और चारों और ये पनपने लगते हैं। साथ ही अक्टूबर तक धान की फसल कटने के कारण कीट आबादी की तरफ आने लगते हैं और बहुत अधिक कीट,पतंगे, मच्छर आदि पैदा हो जाते है।

दीपोत्सव पर लाखों ,करोड़ों दीयों का प्रकाश जब एक साथ पर्यावरण में होता है तब तापमान बढ़ने से जीवाणु और विषाणु नष्ट हो जाते है और साथ ही कीट इन दीयों के प्रकाश की तरफ आकर्षित होते हैं और मर जाते हैं।

इस तरह अगस्त ,सितम्बर में होने वाली बीमारियां अक्टूबर, नवम्बर आते आते बहुत कम हो जाती हैं। एक ये पर्व ही ऐसा है जिस पर हर कोई अपने घर का कोना कोना साफ करनेे का प्रयास करता है और चारों और साफ सफाई नजर आती है। इस प्रकार दीपावली जनजाति के लिए शारीरिक उत्थान लेकर आता है।

ये एक ऐसा पर्व है जिसमें चाहे अमीर हो या गरीब ,चाहे मिट्टी के बर्तन बनाने वाला कुम्हार हो या फैक्ट्री वाला व्यापार या फिर नौकरी, चाहे कोई सी भी जात पात हो, बिना भेद किए हर किसी को आर्थिक रूप से सशक्त होने का मौका मिलता है। शायद इस पर्व पर कोई आर्थिक प्राप्ति से वंचित नहीं रहता होगा। इस प्रकार ये पर्व सभी का आर्थिक उत्थान भी लेकर आता है।

इसी प्रकार सबके आपस में मिलने जुलने में सभी गिले शिकवे दूर कर एक बार फिर से नई शुरुआत का मौका देता है ये पर्व। अर्थात सामाजिक उत्थान भी लेकर आता है ये पर्व। कहें तो दीपोत्सव एक ऐसा पर्व है जो कि सृष्टि में चहुं ओर उत्थान लेकर आता है।

प्रकाश की वजह से नकारात्मकता नष्ट होकर सकरात्मकता बढ़ती है। हमारे सनातन धर्म में तो दीप की रोशनी को परब्रह्म का स्वरूप कहा गया है। यह ना सिर्फ अन्धकार और नकारात्मकता का हरण करता है बल्कि अनजाने में हुए पाप का भी शमन करने की ताकत रखता है।

दीप का प्रकाश शत्रुओं का विनाश कर आरोगय एवम सुख प्रदान करता है। इस प्रकार मानव जाति का हर प्रकार से उत्थान लेकर आता है ये पर्व। तो आओ “असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय” की भावना के साथ सब मिलकर मनाएं।

उत्थान का ये पर्व, कल्याण का ये पर्व,
सृष्टि में एक दूजे के, सम्मान का ये पर्व।
आओ मिलकर सब, दीप जलाएं धरा पर,
प्रकाशित करे जीवन को,दीपों के प्रकाश का ये पर्व।।

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