मॉपराउंड में छूटे हुए चिह्नित लाभार्थियों को कराया जा रहा दवा का सेवन
औरंगाबाद। जिला में फाइलेरिया की रोकथाम के लिए सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत चिह्नित लाभार्थियों को दवा का सेवन कराया गया है। अभियान की समाप्ति के बाद अब मॉपअप राउंड में छूटे हुए लाभार्थियों को दवा खिलायी जा रही है। मापअप राउंड अभियान 20 जनवरी तक चलेगा। मॉप राउंड को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया ने आवश्यक निर्देश भी दिये हैं। निर्देश में कहा गया है कि एमडीए आइडीए अभियान के तहत मॉपअप राउंड के दौरान छूटे हुए क्षेत्र को कवर कर अधिकतम आच्छादन प्राप्त करना सुनिश्चित करें। वहीं डॉ अनुज सिंह रावत, राज्य सलाहकार, फाइलेरिया ने कहा है कि राज्य को केंद्र से भी फाईलेरिया से संबंधित दिशा निर्देश प्राप्त हो रहे हैं। कार्य की गुणवत्ता में सुधार करने का पूरा प्रयास है।
फाइलेरिया नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में है शामिल- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा फाइलेरिया को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में शामिल किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 20 से अधिक प्रकार की बीमारियों को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में रखा गया है। जनजागरूकता के अभाव में इन बीमारियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। वहीं भारत ने इन रोगों के उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए वर्ष 2030 तक नेग्लेक्टेड ट्रोपितकल डिजीज को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज से जुड़े सभी रोगों को खत्म करने के लिए जनजागरूकता पर बल दिया गया है। एनटीडी रोग की श्रेणी में फाइलेरिया सहित मलेरिया, कालाजार, कुष्ठ रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, रैबीज, कृमि रोग सहित कई अन्य रोग आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के रोग के मामले अधिक मिलते हैं। साथ ही साफ पीने के पानी का अभाव तथा शौचालय की सुविधा नहीं होने वाली जगहों पर इस प्रकार की बीमारियों का अधिक प्रकोप होता है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन है जरूरी- जिला में नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में शामिल फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत अल्बेंडाजोल तथा डीईसी सहित आईवरमेक्टिन दवा को शामिल किया गया है। चिह्नित लाभार्थियों को तीन विभिन्न प्रकार की दवा दी गयी हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कुमार महेंद्र प्रताप ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है और इसका बचाव किया जाना आवश्यक है। इस रोग के कारण हाथीपांव की समस्या हो जाती है। इससे रोगी का सामाजिक तथा आर्थिक जीवन प्रभावित होता है। साथ ही रोगी सामाजिक बहिष्कार तथा कलंक का शिकार भी हो जाता है। इसके लिए आवश्यक दवा का सेवन जरूर किया जाना चाहिए।