बिधूना/औरैया। पिछले लगभग डेढ़ माह पूर्व हुई भीषण बारिश से हुए जलभराव से धान के साथ किसानों की खरीफ की फसल बर्बाद हो गई थी और अब क्षेत्र में मानसूनी बारिश न होने से पड़े सूखे के कारण दोबारा भारी लागत और मेहनत से उगाई गई धान व खरीफ की फसलें भी चौपट हो रही है जिससे किसानों की चिंताएं काफी बढ़ी हुई है वही खासकर पशुओं के चारे का भी संकट गहराता जा रहा है।
पिछले दिनों बड़े पैमाने पर अचानक हुई मानसूनी बारिश से खेतों में हुए भारी जलभराव के कारण धान की अधिकांश नर्सरी के साथ ही मक्का ज्वार बाजरा मूंगफली शकरकंद व सब्जी की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई थी। चिंतित किसानों द्वारा कड़ी मशक्कत कर दोबारा किसी तरह धान की नर्सरी का इधर उधर से इंतजाम कर धान रोपाई किए जाने के साथ ही भारी लागत और मेहनत से मक्का बाजरा ज्वार सब्जी की फसल उगाई गई लेकिन अब लगभग 1 माह से मानसूनी बारिश न होने के कारण किसानों की धान मक्का ज्वार बाजरा सब्जी की फसलें सिंचाई के अभाव में सूख कर बर्बाद हो रही है।
सावन भादो बारिश के प्रमुख महीने होते हैं किंतु इसके बावजूद आधे सावन के बाद अब भादो में भी पानी नहीं बरस रहा है।आसमान में बादल तो उमड़ घुमड़ रहे हैं लेकिन बिना बरसे ही निकल रहे हैं जिससे लगातार फसलों के नष्ट होने से कर्जदारी और आर्थिक तंगी का दंश झेल रहे किसान निकट भविष्य में खाद्यान्न व पशुओं की चारे का गंभीर संकट उत्पन्न होने की आशंका से बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। किसान नेता धीरेंद्र सिंह अनिल कुमार सिंह रामशंकर वीरेंद्र दोहरे जयपाल राकेन्द्र भदौरिया आदि का कहना है कि पहले अधिक बारिश और अब सूखे के कारण किसान संकट में है लेकिन सरकार किसान समस्याओं से अनजान बनी हुई है।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर