संसद का चार दिनों का विशेष सत्र खासा सफल रहा. इस स्पेशल सेशन में लिए गए ऐतिहासिक फैसले आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित भी करेंगे और इतिहास के पन्नों में दर्ज भी हो जाएंगे.
आखिरी ऐसा क्या था कि हमेशा से विरोध करने वाले तमाम विपक्षी दल भी महिला आरक्षण पर साथ आ गए. कहीं कोई सितारों और नक्षत्रों का खेल तो नहीं था. क्या यह सिर्फ संयोग मात्र था कि नयी संसद के परिसर में 17 सितंबर को तिरंगा फहराया गया, तो उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था. 17 सितंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने नयी संसद के गज द्वार पर ध्वजारोहण किया था.
भारतीय परम्पराओं और मान्यताओं में हमेशा से भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है. उन्हें विघ्नेश्वर यानी बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है. इसलिए नयी संसद में प्रवेश करने का गणेश चतुर्थी से बेहतर दिन और क्या ही हो सकता था. पीएम मोदी ने अपने हाथों में संविधान लेकर गणेश चतुर्थी के दिन नयी संसद में प्रवेश किया. नई पार्लियामेंट बिल्डिंग में बहस का श्रीगणेश भी गणेश चतुर्थी के दिन ही हुआ. नए संसद भवन में इंजीनियरिंग की तमाम आधुनिक तकनीकि तो इस्तेमाल की ही गई है, प्राचीन परंपराओं और वास्तु का भी पूरा ध्यान रखा गया है. इस नयी बिल्डिंग में गज, सिंह, मकर, हंस और शार्दुल, नाम से कुल 6 द्वार हैं.
महिला आरक्षण बिल भी पंचांगों के हिसाब से एक पवित्र दिन था
‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023’ बिल लोकसभा में 20 सितंबर को पास हुआ. 20 सितंबर को ऋषि पंचमी थी. एक और शुभ दिन शुभ काम के लिए. प्रधानमंत्री के लिए 20 सितंबर भी एक खास दिन है, क्योंकि यह उस वकिल साहेब का जन्दिन है, जिनकी पीएम मोदी बहुत इज्जत करते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि यह वही वकील साहब हैं, जो युवा नरेंद्र मोदी को संघ में लेकर आए थे. 21 सितंबर को राज्यसभा में जब महिला आरक्षण बिल पास हुआ, उस दिन पीएम मोदी का हिंदू कैलेंडर के मुताबिक जन्मदिन था. नयी संसद बिल्डिंग के निर्माण में यह सुनिश्चित किया गया है कि आधुनिक तकनीकि के साथ भारतीय परम्पराएं भी नजर आएं. साथ ही देश दुनिया ने बिना किसी विघ्न या हंगामें के विशेष सत्र को पूरा होते देखा. अब यह संयोग मात्र था या फिर नक्षत्रों का साथ. परम्पराओं पर चलने वाला भारतीय समाज जानता है ग्रह-नक्षत्रों का असर.