संसद के मानसून सत्र में विपक्ष ने चर्चा की जगह हंगामे को वरीयता दी। इसके चलते अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श नहीं हो सका। ये बात अलग है कि सरकार ने विपक्षी गतिरोध के बाबजूद जनहित संबन्धी अनेक विधेयकों को पारित कराया।
इस प्रकार केंद्र सरकार ने तो अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह किया। विपक्ष कथित जासूसी व किसानों के नाम पर चल रहे आंदोलन पर हंगामा करता रहा। इन विषयों पर चर्चा होती तो विपक्ष भी अपनी बात बेहतर ढंग से उठा सकता था। सर्वोच्च पंचायत में उठाई गई बातें सहज रूप में जनता तक पहुंचती है। विपक्ष इससे वंचित रहा। कयास यह लगाए गए कि विपक्ष जासूसी व कृषि पर अपने ही अतीत से बचना चाहता था। यदि चर्चा होती तो बात वहां तक भी पहुंचती।
संसद का सत्र प्रारंभ होने से पहले नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक हुई थी। जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से तीखे सवाल पूंछने को कहा था। उनका कहना था कि सरकार सभी विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन उनकी इस बात का कोई असर नहीं हुआ। इसी माहौल में उत्तर प्रदेश विधान सभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है।
यहां भी सरकार के विरोध में विपक्षी पार्टियों में प्रतिस्पर्धा चल रही है। लखनऊ में भी सर्वदलीय बैठक हुई। विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सत्रह अगस्त से प्रारम्भ हो रहे विधान सभा सत्र के सुचारु संचालन के लिए सभी दलों से सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि तार्किक, तथ्यपरक एवं गुणवत्तापूर्ण संवाद से जनसमस्याओं का सार्थक समाधान किया जा सकता है। सभी के सहयोग से सदन के सुचारू संचालन से अधिकतम वैचारिक उत्पादन का संदेश दिया जा सकता है।
सदन की कार्यवाही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री व नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संसदीय परम्परा के क्रम में इस मानसून सत्र में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा परिचर्चा के लिए सरकार पूरी गम्भीरता एवं विश्वास के साथ सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। नियमतः उठाए जाने वाले जनकल्याणकारी मुद्दों पर सरकार सार्थक वार्ता करते हुए सभी सदस्यों के अनुभवों का लाभ उठाएगी।
सदन की उच्च गरिमा और मर्यादा को बनाए रखते हुए गम्भीर चर्चा को आगे बढ़ाने से लोकतंत्र के प्रति आमजन की आस्था बढ़ती है। उन्होंने कहा कि आप सभी का सदन संचालन में सहयोग अपेक्षित है।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि प्रदेश में कोरोना नियंत्रित है। विगत चार वर्षाें में प्रदेश की मजबूत कानून व्यवस्था,निवेश की बढ़ती सम्भावनाओं से लेकर सभी क्षेत्रों में जनकल्याण को पोषित किया गया है। सदन के सुचारु संचालन से सभी को सीखने का मौका मिलता है। इसके लिए विपक्ष का सहयोग जरूरी है। देखना है कि उत्तर प्रदेश के विपक्ष पर इन सकारात्मक बातों का कितना असर होता है।