भोपाल। गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों से पूरे विश्व को आध्यात्मिक ज्ञान और महान विचारो से इस धरती को प्रकाशमय किया था। गुरु नानक देव जी के विचार जातिवाद, कौम, धर्म तथा भाषा के आधार पर होने वाले भेद भाव से उच्च थे। वह सभी लोगो के प्रति समानता का भाव रखते थे। गुरु नानक देव जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन काल मानवता की भलाई और सेवा करने में गुजार दी। गुरु नानक देव जी ने जीवन भर मानवता एवं एक ईश्वर की प्रार्थना का संदेश दिया था। उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश का हिस्सा यात्रा करते हुए व्यतीत किया और करतारपुर में देह त्याग किया। यह जगह आज भी पाकिस्तान में है। गुरु नानक जयंती पूरी दुनिया में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। समारोह कुछ दिन पहले गुरुद्वारा में शुरू होता है।
अखंड पाठ कहे जाने वाले गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का नॉन-स्टॉप पाठ आयोजित किया जाता है। गुरु नानक के जन्मदिन से एक दिन पहले नगरकीर्तन नामक जुलूस का भी आयोजन किया जाता है। इसका नेतृत्व पांच लोगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें पंज प्यारे के रूप में जाना जाता है, जो सिख त्रिकोणीय ध्वज, निशान साहिब धारण करते हैं। जुलूस के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में बिठाया जाता है। लोग समूहों में भजन गाते हैं, पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र बजाते हैं और अपने मार्शल आर्ट कौशल का प्रदर्शन भी करते हैं।
साथियों बात अगर हम बाबा नानक दा सच्चा सौदा की करें तो गुरु नानक देव ने दुनिया के महापुरुषों और संतों में वह ऊंचा स्थान प्राप्त किया जिसे शायद ही कोई पा सका हो। आज उनकी 553 वीं जयंती मनायी जा रहा है। गुरु नानक देव ने अपने ओजस्वी और भक्तिपूर्ण विचारों के दम पर वह मुकाम हासिल किया जिसे राजा महाराजा भी अपनी पूरी सेना के साथ नहीं हासिल कर पाते। वह दुनिया के लिए एक ऐसे महान विचारक थे, जिनके विचार कई सदियों तक लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन करते रहेंगे। भारत भूमि में जन्म बहुत से महापुरुषों ने समाज को एक नयी राह दिखाने का काम किया है। हर युग में लोग उनके विचारों से प्रभावित हुए हैं। ऐसे ही महापुरुषों में गुरु नानक देव जी भी हैं। गुरु नानक की शिक्षाएं और विचार आज भी सांसारिक जीवन में भटके हुए लोगों को राह दिखाने का काम करते हैं।
साथियों बात अगर हम बाबा गुरु नानक देव की महिमाओं की करें तो महिमाएं गाथाएं लिखने में दुनिया के पूरे कागज कलम कम पड़ जाएंगे परंतु फिर भी गाथाएं तो बाबा जी की गाना लिखना ही पड़ेगा। गुरु नानक देव जी से जुड़ि रोचक कहानी-सच्चा सौदा-नानक जी की बचपन से ही ईश्वर के प्रति काफी प्रेम और श्रद्धा थी। उनका मन पढाई में बिलकुल नहीं लगता था । इसके विपरीत्त हर समय उनका मन और ध्यान सिर्फ ईश्वर का नाम जपते रहने में लगा रहता थे। उनकी इस प्रवति को देख उनके पिता उनसे काफी रुष्ट रहते थे। वह हमेशा नानक जी के भविष्ये के बारे में चितिंत रहते थे।कहते है की एक बार ननकी जी के पिता मेहता कालू नानक जी का ध्यान पूजा पाठ और साधु-सांगत और भगवन के चिंतन से हटाने के लिए उन्हें घर के सभी बाहरी काम देने का निर्णय किया। इसके लिए उन्होंने सबसे पहला काम देने के लोए नानक जी को बुलाया और उन्हें 20 रुपय देते हुए आदेश दिया की जाओ बेटा तुम इन पैसो से बाजार जाकर एक सच्चा सौदा करके आओ। नानक जी अपने पिता की आदेश पालन कर बाजार की ओर चल देते है। जाते समय उन्हें रस्ते में कई भूखे , गरीब और साधु-संत मिलते है।
उन्हें देख वह उन लोगो को 20 रुपयों में भूखो के लिए भोजन और साधू संतो के लिए वस्त्रों की व्यवस्था कर देते है और घर वापपस आ जाते है।घर पर उनके पिताजी जब उनसे सौदे के बारे में पूछते है तो नानक जी उत्तर देते है–“मैंने उन पैसा से सच्चा सौदा किया है” उन पैसो का उपयोग गरीब और साधुओं के सेवा में खर्च कर दिया। यह सुन उनके पिता उन पर काफी क्रोधित होते है।दोस्तों यह रोचक बात यह है की गुरु नानक जी द्वारा जिस जगह उन गरीबो और साधु संतो को खाना खिलाते है वही पार आज भी सच्चा सौदा नाम का गुरुद्वारा बना हुआ है जो अब फरूकाबाद पंजाब(पाकिस्तान) में स्थित है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नानक दा सच्चा सौदा नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत गुरु नानक देव की शिक्षा और विचार आज भी सांसारिक जीवन में भटके हुए लोगों को राह दिखाने का काम करते हैं।