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गुरूद्वारा नाका हिंडोला मनाया गया बसन्त पंचमी का त्यौहार

लखनऊ। शनिवार को प्रातः के दीवान में बसन्त पंचमी का त्यौहार श्री गुरू सिंह सभा ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिंडोला लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर श्री सुखमनी साहिब के पाठ के उपरांत रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में बसन्त राग में “तिन बसन्त जो हरि गुण गाए,पूरे भागि हरि भगति कराए” “नानक तिना बसन्त है, जिन घर वसिआ कंत ” शबद कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने बसन्त पंचमी के त्योहार कथा व्याख्यान करते हुए बताया कि सिख त्योहार के रूप में गुरुद्वारों में एक फसल उत्सव के रुप में त्योहार को मनाया जाता है।

बसंत पंचमी का एक विशिष्ट अर्थ है बसंत का अर्थ है बसंत और पंचमी का अर्थ है पांचवां दिन,पीला रंग इस त्योहार का प्रमुख रंग है। क्योंकि यह फलों और फसलों के पकने का प्रतीक है। उत्तर भारत में सरसों के खेत इस मौसम में खिलते हैं और प्रकृति को एक पीली छटा प्रदान करते हैं। लोग पीले कपड़े पहनते हैं, इस त्योहार के विशेष अवसर के लिए कई स्वादिष्ट मीठे व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

गुरु ग्रंथ साहिब में बसन्त राग का उल्लेख है जो 8 अष्टपदियों और 167 शबदों के रुप में श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।

समाप्ति के उपरांत लखनऊ गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने समूह संगत को बसंत पंचमी त्यौहार की बधाई दी उसके उपरांत चाय का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।

      दया शंकर चौधरी

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