डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने हाल ही में अमेरिका में रहने वाले विदेशी छात्रों के लिए एक नया फैसला लिया है. ये फैसला जुड़ा है ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) वाले प्रोग्राम से. इस प्रोग्राम के तहत विदेशी छात्र अपनी डिग्री पूरी हो जाने के बाद अमेरिका में 1 साल के लिए नौकरी करते हैं.
साइंस, इंजीनियरिंग और मैथ के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले छात्रों को 2 साल का एक्सटेंशन मिलता है. इस वजह से ओपीटी के तहत उनका अनुभव 3 साल हो जाता है. ट्रंप सरकार इस प्रोग्राम से जुड़े नियमों को और ज्यादा सख्त बनाने का सोच रही है.
गैर प्रवासी छात्रों के लिए बदलाव
ये फैसला ट्रंप की विचारधारा ‘अमेरिका फॉर अमेरिकन्स’ को दर्शाता है. मालूम हो अपने चुनावी प्रचार में ट्रंप ने बढ़ चढ़कर कहा था कि अमेरिकी युवाओं के पास रोजगार नहीं है. उन्होंने इसका कारण बताया अमेरिका में भारतीयों की बढ़ती आबादी.
अमेरिकी सरकार के फॉल एजेंडा वाले दस्तावेज में लिखा हुआ है कि अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोरनेमेंट चले आ रहे नियमों और गैर प्रवासी छात्रों के लिए ओपीटी के विकल्पों में बदलाव भी किये जा सकते हैं. बता दें कि ये छात्र एफ और एम वीजा पर अमेरिका आते हैं.
क्या है एफ और एम वीजा?
आप ये सोच रहे होंगे कि ये एच1बी के बाद अब ये एफ और एम वीजा किस बला का नाम है? ये कोई बला नहीं है बल्कि अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के लिए जीवनरेखाएं हैं. एफ वीजा डिग्री करने आए छात्रों के लिए मान्य होता है जबकि एम वीजा वोकेशनल ट्रेनिंग करने वाले छात्रों के लिए मान्य होता है.
लेकिन ये एफ और एम वीजा पर कड़े प्रतिबनबंध लगने के प्रस्ताव का मतलब क्या निकलता है? इसका मतलब हुआ कि वीजा लेने के नियम अब पहले से और भी ज्यादा सख्त हो जाएंगे. नियम सख्त होने का पहला उदाहरण होगा कि वीजा की मान्यता डिग्री पूरी होने तक न होकर एक निश्चित समय के लिए ही होगी. हालांकि साइंस के छात्रों के लिए 3 साल की ओपीटी बंद किये जाने पर अभी कोई जानकारी नहीं है.