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शिशु सुरक्षा दिवस : नवजात शिशु के लिए कंगारू मदर केयर वरदान

• प्री-मेच्योर शिशुओं में आक्सोपॉक्सिया व हाइपोथर्मिया का खतरा

• मौसम को देखते हुए नवजात शिशुओं का रखें ध्यान

• इस मौसम में कोल्ड डायरिया और निमोनिया का होता है खतरा

औरैया। नवजात शिशुओं को सर्दी के मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है। प्री-मेच्योर और कुपोषित नवजातों को मौत के मुंह से बचाने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि वरदान है। खासतौर से ऐसे नवजात शिशु जिनका वजन 2.5 किग्रा से कम है, उनके लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) संजीवनी साबित होती है। इससे जहां बच्चे का तापमान सामान्य रहता है वही वजन भी तेजी से बढ़ता है, व सर्दी के खतरों से नवजात शिशु महफूज रहते हैं। यह कहना है जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ कुलदीप यादव का।

वह बताते है कि हर वर्ष 7 नवंबर ‘शिशु सुरक्षा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है | बहुत बार उचित सुरक्षा और उचित देखभाल की कमी के कारण, नवजात शिशुओं को बहुत सारी शारारिक समस्याओं का सामना वर्तमान में और आगामी भविष्य में करना पड़ता है।जिसका फिर निदान करना बड़ा ही कठिन है। इसीलिए इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य शिशुओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता और शिशुओं की उचित देखभाल करके उनके जीवन की रक्षा करना है।

उनका कहना है सर्दी की वजह से तापमान रोज नीचे आ रहा है। इन हालातों में सबसे ज्यादा खतरा नवजात शिशुओं (शून्य से 27 दिन) को होता है, नवजात शिशुओं की देखरेख में जरा भी हीलाहवाली उन्हें बीमार कर सकती है। ऐसे में नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए कंगारू केयर बेहतर विकल्प होता है। इसके लिए अस्पताल में अलग से वार्ड भी बना हुआ है। हैं। उन्होंनेबताया कि जिला अस्पताल में हर महीनें में 50 से अधिक प्रसव होते हैं। जो बच्चे 9 के बजाए 6 या 7वें महीने में पैदा होते हैं उनकी लंबाई और औसतन वजन भी कम होता है। ऐसे शिशुओं को इस केएमसी विधि की ज्यादा जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में अप्रैल २०२२ से अब तक करीब 180 बच्चे लो बर्थ वेट के जन्में थे जिनमें 77 नवजात शिशुओं को कंगारू मदर केयर विधि से स्वस्थ किया जा चुका है।

जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रंजीत सिंह कुशवाहा बताते हैं कि समय से पहले जन्म लेने वाले नवजातों में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। ऐसे में इन्हें आक्सोपॉक्सिया (नवजात के ब्लड में ऑक्सीजन की कमी) व हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) जैसी बीमारी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है विशेष देखभाल न होने पर 40 दिन के भीतर उनकी मौत भी होसकती है। ऐसे बच्चों को अगर लगातार मां की त्वचा का स्पर्श मिले तो उनके बचने के अवसर कई गुना बढ़ जाते हैं।

औरैया ब्लॉक की निवासी पूनम सिंह (30 ) ने बताया कि तीन दिन पूर्व ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया था। बेहद कमजोर होने से बच्ची स्तनपान नहीं कर पा रही थी। उसका वजन भी कम था और हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) भी था। तीन दिनों में लगातार उसे कंगारू केयर दिलवाई गयी अब नवजात की सेहत में सुधार हुआ है। उसकावजन भी बढ़ गया है। अब वह ठीक है।

क्या है कंगारू मदर केयर-

जैसे कंगारू अपने बच्चे को गर्माहट देकर उसकी आधी तकलीफें दूर करता है, ठीक ऐसे ही माएं भी अपने नवजात को अपने से चिपकाकर उसे गर्माहट देती हैं जिससे बच्चे की कई समस्याएं दूर हो जाती है।

केएमसी से होने वाले लाभ-

इस तकनीक के जरिए त्वचा का संपर्क शिशु को शांत रखने और नवजात शिशु को संभालने में मां के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है। केएमसी की मदद से नवजात शिशु का तापमान में सुधार होता है। यह एक तरह का मानवीय एवं प्राकृतिक इनक्यूबेटर की तरह काम करता है। इससे मां के हार्मोन सक्रिय रहते हैं, जिससे दुग्ध आपूर्ति में वृद्धि होती हैं। त्वचा से त्वचा का संपर्क मां को रिलेक्स करता है और लंबी अवधि में इससे प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन की संभावना भी कम हो जाती है। इससे नवजात में संक्रामण होने की संभावना भी कम रहती हैं।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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