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हेरिटेज वॉक का वैचारिक सन्देश

लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने शताब्दी समारोह में अनेक पुराने रूपों को भी जीवंत बनाया है। एक समय था जब यहां तांगे से भी शिक्षक, विद्यार्थी आते थे। तहजीब का भी अपना अनोखा अंदाज था। पहले आप का भाव पूरे देश में प्रसिद्ध था। तब चारबाग स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों को यह आवाज सुनाई देती थी-हुजूर तांगा लगाऊ,,,। नई पीढ़ी ने वह वक्त नहीं देखा। लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस तहजीब से उन्हें परिचित कराने का प्रयास किया है। इस प्रकार हेरिटेज वॉक का वैचारिक सन्देश भी है।

हेरीटेज वॉक के अंतिम चरण में मुख्य आकर्षण सेवा चिकन की स्थापना करने वाली लखनऊ विश्व्विद्यालय की 1973 बैच की छात्रा रुना बनर्जी एवं रेडियो मिर्ची के मशहूर आर जे प्रतीक और टाइम्स ऑफ इंडिया के संजय मान सिंह एवं 1976 बैच के पूर्व छात्र अजय शुक्ला रहे। इस का वाक का प्रारम्भ भाऊराव देवरस द्वार से हुआ। जहाँ एक ओर इन अतिथियों ने विश्विविद्यालय के अनसुने इतिहास को जाना वहीं दूसरी ओर भविष्य में विश्विविद्यालय के लिये कुछ करने की मंशा जताई संजय मान सिंह ने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विश्विविद्यालय द्वारा ऐसे प्रतीक चिन्ह जारी करने का सुझाव दिया जिन्हें हर कोई खरीद सके।

जैसे टी शर्ट,कैप,मग इत्यादि।आई टी एस की डॉ अनुपमा श्रीवास्तव ने बताया कि जिस विज़न के साथ कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने हेरिटेज वॉक का आयोजन करवाया था। वह अपने उद्देश्य में पूर्णतः सफल रही। इस यात्रा में कई विशिष्ट अतिथियों के साथ साथ छात्रों,कर्मचारियों, शिक्षकों ने भी विश्विद्यालय के अनछुए पहलुओं को जाना,इस हेरिटेज वाक के कॉन्सेप्ट डिज़ाइनर यशराज सिंह ने बताया कि हेरिटेज वॉक जैसे आयोजन विश्विद्यालय को आम जन मानस से जोड़ते हैं।

यात्रा में इतिहास एवं कला के विषय में प्रो पीयूष भार्गव और प्रशांत चौधरी ने बताया। अंत में डॉ अनुपमा श्रीवास्तव ने इस यात्रा में प्रारम्भ से सहयोगी रहे संजय सिंह,प्रो शाम्भवी मिश्रा, एस रिजवी मांडवी श्रीवास्तव,अंशिमा को धन्यवाद दिया। रेडियो मिर्ची के आर जे प्रतीक ने बताया कि इस हेरिटेज वाक का शहर के अन्य ख्यातिप्राप्त लोग इसका अनुभव लेना चाह रहे थे।

रिपोर्ट- डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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