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शताब्दी समारोह में संस्कृत कवि सम्मेलन


दुनिया की सर्वाधिक प्राचीन वैज्ञानिक व समृद्ध भाषा संस्कृत है। इस विरासत को लोकप्रिय बनाने के लिए देश के अनेक मनीषी प्रयास करते रहे है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले ही संस्कृत में भी अपने प्रेस नोट जारी करने की शुरुआत की है। आज भी संस्कृत भाषा में काव्य व ग्रन्थों की रचना की जा रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने शताब्दी वर्ष समारोह में संस्कृत को प्रतिष्ठा प्रदान की है। शताब्दी महोत्सव के अवसर पर अभिनव संस्कृत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि प्रो.अशोक कुमार कालिया पूर्व कुलपति, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय रहे। सरस्वती समर्चना के उपरांत मान्य विद्वान् कवियों का उत्तरीय अलंकरण से स्वागत किया गया।

इसके बाद पद्मश्री प्रो. बृजेश कुमार शुक्ल ने कवियों का वाचिक स्वागत करते हुए काव्यपाठ भी प्रस्तुत किया। उन्होंने प्राकृत भाषा में भी काव्यपाठ प्रस्तुत किया।तदनंतर प्रो आजाद मिश्र मधुकर ने अपना मंजुल काव्यपाठ प्रस्तुत किया। इसके बाद सांदीपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष प्रो ओमप्रकाश पाण्डेय जी ने अपनी सुपौत्री के ऊपर लिखी कविता प्रस्तुत की। उन्होंने निर्याति नैव स्मृति: से भी पद्य प्रस्तुत किए। कवि सम्मेलन के मध्य में विभाग के ही प्रतिभाशाली छात्र आईएएस अधिकारी डॉ चन्द्र भूषण त्रिपाठी का वस्त्र अलंकरण से सम्मानित किया गया। तत्पश्चात् राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर से आए हुए प्रो रामलखन पाण्डेय जी ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया।इसके बाद प्रो.निशि पाण्डेय को दुकूल वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसके बाद कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रो. अशोक कुमार कालिया ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र के रूप में अपनी स्मृतियों को साझा किया। कैसे साठ के दशक में अनेकश: मंचित नाटक के विषय में बताया।

उन्होंने विश्वविद्यालय विषयक काव्यपाठ भी प्रस्तुत किया। इसके बाद डॉ.रेखा शुक्ला जी ने भारत महिमा पर अपना काव्य पढ़ा। विभाग की ही छात्रा मलिहाबाद में खण्ड विकास अधिकारी डॉ.संस्कृता मिश्रा ने भी लखनऊ विश्वविद्यालय विषय पर काव्य पाठ प्रस्तुत किया। इसके बाद विभाग के ही छात्र डॉ सर्वेश त्रिपाठी ने भी सुन्दर कविता पाठ प्रस्तुत किया। इसके बाद संस्कृत प्राकृत भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामसुमेर यादव जी ने भारत का गौरव गान करते हुए काव्य पाठ प्रस्तुत किया। इसके बाद डॉ सत्यकेतु ने काव्य पाठ प्रस्तुत किया। डॉ.पत्रिका जैन ने प्राकृत भाषा में काव्य पाठ प्रस्तुत किया। अन्त में कार्यक्रम के संयोजक डॉ प्रयाग नारायण मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए काव्य पाठ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अशोक कुमार शतपथी ने किया।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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