पाकिस्तान के आम चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं के लिए पांच प्रतिशत सामान्य सीटों के आरक्षण के उल्लंघन का मामला इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के पास वापस भेज दिया है। न्यायाधीश आमेर फारूक ने कहा कि आम चुनावों को देश में रोका नहीं जा सकता, लेकिन पाकिस्तान चुनाव आयोग को चुनाव के बाद कानून के मुताबिक शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
औरत फाउंडेशन ने की थी पहल
औरत फाउंडेशन ने चुनाव अधिनियिम का अनुपालन न करने के लिए चुनाव निकाय के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय सभाओं में सभी राजनीतिक दलों द्वारा सामान्य सीट के कम से कम पांच प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएं। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने शासन में लैंगिक समानता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और प्रांतीय दोनों स्तरों की विधायी प्रक्रिया में महिला प्रतिनिधित्व बनाने के लिए महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की हैं। लेकिन राजनीतिक दलों ने खुलकर इस नियम का विरोध किया है।
महिलाओं के उत्थान के लिए बने कानून की उड़ी धज्जियां
औरत फाउंडेशन ने राष्ट्रीय चुनावों से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा को संबोधित एक पत्र में प्रावधान के उल्लंघन की बात कही है। पत्र में कहा गया कि हमें यह जानकर बेहद दुख हुआ कि कुछ राजनीतिक दलों ने महिलाओं के उत्थान के लिए बनाए गए कानून की धज्जियां उड़ाई है। संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, केवल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने नेशनल असेंबली के लिए सामान्य सीटों पर 9.6 और 7.8 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर आवश्यकता को पूरा किया था।
ज्यादातर राजनीतिक दलों ने नहीं माना कानून
वहीं बलूचिस्तान नेशनल पार्टी और जमीयत-ए-उलेमा-ए-इस्लाम-फजल ने नेशनल असेंबली के लिए किसी भी सामान्य सीट पर महिला उम्मीदवारों को मैदान में नहीं उतारा। पाकिस्तान महिला अधिकार संगठन के मुताबिक, ज्यादातर पार्टियों ने प्रांतीय स्तर पर भी प्रावधान का उल्लंघन किया। न्यायमूर्ति फारूक ने पांच प्रतिशत सामान्य सीट टिकटों की स्थिति के बारे में मामला पाकिस्तान चुनाव आयोग को भेजा।