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हिंदी है माथे की बिंदी

अपनी भावनाओं को हिंदी भाषा में जिस सहजता व आत्मीयता से हम व्यक्त कर सकते हैं वो बात किसी दूसरी भाषा में नही है। यह हिंदी भाषा की ही जादुई शक्ति है, अंजान लोग भी शब्दों के संवाद द्वारा आत्मीयता से इतने निकट आ चुके हैं, अद्भुत है।

हिंदी है माथे की बिंदी

विनय है, लाज है, लिहाज है,
सुसंस्कारों की, गुरूवशिष्ठ है हिंदी !!
माँ सी ममता, भाई सा भरोसा,
समझो तो कितनी घनिष्ठ है हिंदी !!

बड़ों को अभिवादन,छोटो को स्नेह,
रिश्तो में कितनी शिष्ट है हिंदी !!
पहला ही शब्द माँ मुंह से निकला,
मैं कैसे मानू क्लिष्ट है हिंदी !!

वेदो की वाणी पुराणो की भाषा,
जुडी है संस्कृत से निष्ठ है हिंदी!!
विकल्प नही ! रहेगा संकल्प हमारा,
अनुभव भी कहता है उत्कृष्ट है हिंदी !!

उत्सव सा मन में करें स्वर साधना,
भावों की भाषा में विशिष्ट है हिंदी!!
पहला प्यार मेरा हिंदी ही कहूगी,
भाषा की दुनियां में बलिष्ट है हिंदी !!

दया भट्ट

दया भट्ट

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