हम जिस परिवेश में रहते हैं, उसमें समाज के विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं। मानव जीवन कई तरह के गुणों से भरा हुआ होता है, अच्छाई, बुराई, सहानुभूति, संवेदना, दयावान बनना, कठोर होना आदि गुण मनुष्य के अंदर व्याप्त होते हैं। इन्हीं गुणों द्वारा हम इंसान को पहचानते हैं कि वह किस व्यक्तित्व का मानव है। मनुष्य की नैतिकता और अच्छे आचरण को ही गुण कहते हैं। उत्तम होना ही मनुष्य की पहचान है, व्यक्ति के गुण ही इंसान को महत्वपूर्ण बनाते हैं। इसलिए इसे हम मानव की अच्छाई कहते हैं। गुणों से भरा हुआ जीवन मनुष्य का अच्छा स्वभाव को दर्शाता है।
मनुष्य अपने इन्हीं गुणों के द्वारा समाज में एक अच्छी पहचान बनाता है, हमें कभी भी अपने गुणवान होने पर घमंड नहीं करना चाहिए। स्वीकार्यता, क्षमता, बुद्धिमत्ता, खूबसूरती दिल की, विवेक, पवित्रता करुणा भाव, दयावान, विशाल हृदय, सहानुभूति, संवेदना और आत्मविश्वास, धैर्य, हिम्मत, साहस आदि कई तरह के गुणों से भरा हुआ मानव का जीवन ही उसकी पहचान बनाता है। ये मूल्य ही मानव जीवन का आधार है। गुणों से भरे हुए मानव के मस्तक में हमेशा चमक होती है।
गुण और अवगुण मानव की प्रवृत्ति है, जिसके कारण वह विशिष्ट बनता या दुष्ट बनता है। हमारे मूल्यों को या मानव विस्तृत भावों को गुण की संज्ञा दी जाती है। मनुष्य के भौतिक उत्तमता को हम गुण कहते हैं। व्यक्तिगत गुण किसी भी व्यक्ति को महान बना देता है। इसीलिए इसे उत्तमता से हम परिभाषित कर सकते हैं। मानव अपने जीवन में कई ऐसे अद्भुत क्षमता वाले काम कर देता है। जो हम सोच नहीं सकते, उस तरफ ध्यान नहीं देते कि यह मानव कर देगा। इंसान बड़ी सफलता के साथ कर देता है।
हमारा खूबसूरत होना गुण नहीं है, यह ईश्वरीय वरदान है। सुंदरता की अपेक्षा मानव में मानवीय गुणों का होना ज्यादा आवश्यक होता है। जो हमारे जीवन को सफल बनाने में सहायक बनता है। ज्ञानवान होना अति आवश्यक है, बुद्धिमान होने से हमारे जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल जाती है। हमें मानसिक और बौद्धिक विकास के साथ अंदर से भी जागृत होना चाहिए। जीवन के मूल्यों को अपनी जिंदगी में उतारना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि किसी भी मानव के विकास के लिए मानवीय गुण उसकी पहचान होते हैं। किसी काम को करने का अच्छा तरीका उसकी अच्छी जीवनशैली होती है।
अगर हमें नैतिक मूल्यों का ज्ञान नहीं होता तो हम जीवन को सफल तरीके से नहीं जी सकते थे। मानवीय जीवन में करुणा, दयाभाव की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। यह भाव अगर मानव में नहीं है, वह जानवर तुल्य बन जाता है। क्योंकि दया का भाव दूसरों के प्रति हमें दयावान बनाता है। यह भाव जिस मानव में नहीं होता वो मानव स्वार्थी हो जाते हैं। तभी से हमारे या उसके जीवन में नैतिक पतन की शुरुआत होती है।
दार्शनिक प्लेटो ने अपनी पुस्तक में लिखा है…..बुद्धिमत्ता, निर्भयता, संयम और न्याय उन्होंने लिखा जिस मानव में यह गुण विद्यमान होते हैं। वो विद्वान होते हैं, उतना ही वह पुरुष नेक और उत्तम होता है। बुद्धिमान व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छूता है।
मानव जीवनमें गुणों का विकास कैसे होता है?
मानव अपने जीवन में जिस तरह की सत्संगति में उठता बैठता है। उसका असर उसके जीवन में गहराई से पड़ता है। यह सभी गुण मानव के विकास में सहायक होती है। मानव में दो तरह की विचारधाराओं का समावेश होता है कभी-कभी हमारे दिल के दो भाग होते हैं एक उत्तम एक अनुत्तम। उत्तम पक्ष हमेशा अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करता है। अनुत्तम पक्ष ग़लत कामों के लिए।
सकारात्मक विचार : जीवन को खूबसूरत बनाने के लिए उसमें अच्छे गुणों का समावेश होना ज़रूरी है। मानव जीवन को कभी दयावान या कठोर होना पड़ता है। ये तो मानव प्रकृति है। जीवन में हमें विवेक से काम लेना चाहिए। इसी के अनुसार मानव जीवन में बदलाव आता जाता रहता है।
मधु तिवारी