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‘नहीं लगता जयंत किसानों को नुकसान पहुंचाने वाला कदम उठाएंगे’, RLD-BJP गठबंधन की अटकलों के बीच बोलीं डिंपल

लोकसभा चुनाव से पहले जयंत चौधरी एनडीए में शामिल हो होने की चर्चा हैं। विपक्षी गठबंधन को झटका लगना करीब-करीब तय माना जा रहा है। जयंत के एनडीए में शामिल होने के बीच समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में शामिल होने की खबरों के बीच बड़ा दावा किया है।

सपा सांसद डिंपल यादव का ने कहा कि जिस तरह से भाजपा किसानों के खिलाफ काम कर रही है और जिस तरह से हमारे पहलवानों का भाजपा ने अपमान किया है, मुझे नहीं लगता कि आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी कोई भी कदम उठाएंगे जिससे हमारे किसानों को सीधा नुकसान होगा।

उन्होंने कहा कि जिस तरह भाजपा सरकार किसानों के विरुद्ध काम कर रही है, बजट में किसी भी प्रकार की MSP का जिक्र नहीं है, भाजपा के द्वारा हमारी पहलवान बहनों का अपमान हुआ है, मैं नहीं मानती की आरएलडी के नेता जयंत चौधरी इस तरह का कोई कदम उठाएंगे जिससे किसानों को नुकसान पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक रालोद ने भाजपा से कैराना, अमरोहा, बागपत, मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट मांगी थी। भाजपा इनमें से कैराना, अमरोहा और बागपत सीट देने के लिए तैयार है। मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट पर पेच फंसा है। एनडीए गठबंधन में मंत्री पद भी मिलने की संभावना है।

सपा से बनते-बनते यूं बिगड़ी बात
भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। सीटें चिह्नित करने और सपा की ओर से तीन सीटों पर रालोद के चुनाव निशान पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की शर्त पर पेच फंस गया।

सपा चाहती है कि कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो रालोद के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। सपा के समक्ष मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद ने दावा ठोका था, जहां बीते चुनाव में दिवंगत अजीत सिंह महज छह हजार मतों से हार गए थे।रालोद नेताओं ने कैराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी। लेकिन मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बन गई। इसी दौरान चर्चा शुरू हो गई कि रालोद अध्यक्ष की भाजपा से गठबंधन की बात हुई है बातचीत की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन सियासी गलियों में सबने अपने-अपने समीकरण लगाने शुरू कर दिए। रालोद नेतृत्व ने अभी तक न तो इन्कार किया और न ही इकरार, जिस कारण चर्चाओं ने दिनभर तेजी पकड़ी।

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