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‘मैंने जीने की इच्छा छोड़ दी थी’, यूक्रेनी युद्धबंदी ने यूएन के जांच रूसी जेल में यातनाओं के भयावह दास्तां

यूक्रेन पर स्वतंत्र, अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग ने अपनी पड़ताल के बाद शुक्रवार को यह रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसमें व्यापक स्तर पर और व्यवस्थागत ढंग से इन अधिकार हनन मामलों में जानकारी जुटाई गई है। मानवाधिकार परिषद ने दो वर्ष पहले इस आयोग की नियुक्ति की थी, ताकि 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से हुए गंभीर असर का आकलन किया जा सके।

यूक्रेन के एक सैनिक और पूर्व युद्धबंदी ने जांच आयोग को बताया कि उन्होंने हर उम्मीद और जीवन जीने की इच्छा खो दी थी, उन्हें बार-बार यातना दी गई, हड्डियां और दांत तोड़ दिए गए और एक ज़ख्मी पांव में गैंगरीन हो गया। जांच आयोग प्रमुख ऐरिक मोसे ने कहा कि इस युद्धबंदी को मॉस्को के दक्षिण में स्थित तुला क्षेत्र के दोन्सकोय शहर की जेल में रखा गया था, जहां उन्होंने अपनी जान लेने की कोशिश भी की। मगर, इसके बाद उन्हें बन्दी बनाने वाले लोगों ने फिर से पीटा।

भुक्तभोगियों ने जांच आयोग को बताया कि उनकी निरंतर, बर्बर ढंग से पिटाई की गई, लंबे समय तक हिरासत में रखा गया और उनकी मानवीय गरिमा का कोई ख़याल नहीं रखा गया। जांच आयोग ने शुक्रवार को जेनेवा में पत्रकारों को बताया कि इस बर्ताव से बंदियों को शारीरिक और मानसिक सदमा पहुंचा है, जो लंबे समय तक जारी रह सकता है।

बलात्कार, पिटाई, यातना
जाँच आयुक्तों के अनुसार, महिलाओं के साथ बलात्कार और अन्य प्रकार के यौन हमले किए जाने के मामलों में गवाही भी यातना की श्रेणी में रखी जा सकती हैं। पुरुष युद्धबंदियों को भी बलात्कार की धमकियां दी गईं। उन्हें चोट पहुंचाने के इरादे से बिजली के झटके दिए गए। जांच आयोग प्रमुख ऐरिक मोसे ने बताया कि युद्धबंदियों की पिटाई, उनके साथ गाली-गलौज की गई, बिजली के उपकरणों का उनके शरीर पर इस्तेमाल किया गया और सीमित मात्रा में खाने-पीने का सामान दिया गया।

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