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अगर लीवर को रखना है स्वस्थ और साफ तो अपनाएं ये उपाय

लिवर यानी यकृत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए लिवर का स्वस्थ होना अनिवार्य है। लिवर आपके शरीर में अनेक महत्वपूर्ण गतिविधियों को नियंत्रित करता है और शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने में सहायता करता है। यह रस धातु को रक्ता धतू (रक्त) में परिवर्तित करता है।

यह पित्त (रंजक पित्त) भी पैदा करता है और रक्त से अमा को खत्म करने वाले तत्वों का सफाया करता है। गलत आहार और जीवन शैली लीवर के ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है और पीलिया, फैटी लीवर और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों की ओर ले जाती है। अपने लीवर को स्वस्थ रखने के लिए अपने जीवन में इन पांच सरल आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को शामिल करें।

हल्दी: हल्दी का उपयोग कर आप लीवर की सफाई बड़े ही आसानी से कर सकते हैं क्योंकि हल्दी जिगर का पसंदीदा मसाला है। यह जड़ी बूटी यकृत कार्यों का समर्थन करती है और रक्त को साफ करती है। यह रस को रक्त में बदलने की प्रक्रिया में भी मदद करती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों के उन्मूलन को भी बढ़ावा देता है। ज्यादातर मामलों में आपको किसी अतिरिक्त हल्दी को लेने की आवश्यकता नहीं है यदि आप पहले से ही इसे अपने भोजन में उपयोग करते हैं।

लहसुन: लहसुन आपके लिवर को स्वच्छ रखने में अत्यंत सक्षम है। लहसुन की छोटी-छोटी पोथियों में जिगर को सक्रिय करने की क्षमता होती है यह लिवर में उपस्थित उन एन्ज़ाइम्स को सक्रिय कर देता है जो लिवर सो साफ करने में सहायक हैं। इसमें एल्लीसिन और सेलेनियम नाम के दो तत्व हैं जो लिवर को साफ तो करते ही हैं, परन्तु साथ ही में लिवर को क्षति पहुँचने से भी बचाते हैं।

गुडूची: गुडूची अपने डिटॉक्सीफाइंग और रक्त शोधन गुणों के लिए जानी जाती है। लीवर की समस्याओं के लिए तैयार आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में गुडूची होती है। जड़ी-बूटी ने कमला (पीलिया), हेपेटाइटिस और फैटी लिवर के उपचार में भी लाभदायक है। आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में गुडूची का सेवन करना चाहिए।

त्रिफला: आंवला, बिभीतकी और हर्ताकी का मिश्रण चयापचय और आंत्र आंदोलनों को नियमित करने में मदद करता है। यह शरीर को ठंडा करता है और शरीर के सभी त्रिदोषों को संतुलित करता है। त्रिफला चूर्ण रोज रात को सोने से पहले किसी के भी द्वारा लिया जा सकता है।

एलोवेरा: एलोवेरा का जूस लिवर (हेपेटॉक्सिसिटी) से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और अच्छे मल त्याग को बढ़ावा देता है। पाचन तंत्र को सुखदायक करने के अलावा, एलोवेरा तनाव से भी लड़ता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।

कुटकी: यह स्वाद में कडवी जड़ी बूटी और प्रकृति में ठंडी है और लीवर और पित्ताशय की थैली की सफाई पर प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद में कुटकी भूख में सुधार और पीलिया या पित्त विकारों के इलाज के लिए निर्धारित है। जड़ी बूटी त्वचा विकारों में और चयापचय में सुधार करने में फायदेमंद है।

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