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आत्मनिर्भर भारत में कृषि का महत्त्व

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करती है. उनका कहना है कि नहीं शिक्षा नीति ने इस संदर्भ में व्यापक अवसर उपलब्ध कराए हैं.इसमें कौशल विकास से लेकर कृषि तक अनेक क्षेत्र समाहित हैं. आनन्दी बेन ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुधन क्षेत्र को महत्वपूर्ण बताया. कहा कि युवाओं और पशुपालको के लिए इस क्षेत्र में आजीविका के बेहतर अवसर हैं. यह आत्मनिर्भर भारत का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

कुटुंब विचार का वैश्विक महत्त्व

उन्होंने आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या के दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया. उन्होने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अपने ज्ञान एवं कौशल का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों के संवर्द्धन गुणवत्तापरक उत्पादन, कृषि में रोजगार सृजन करके भारत निर्माण के योगदान का संदेश दिया।

विश्वविद्यालय में पशुनस्ल सुधार की दिशा में हो रहे कार्यों, उससे प्रदेश के किसानों को लाभ, पूर्वांचल क्षेत्र में कृषि विकास में योगदान, विभिन्न फसलों की नई प्रजातियों का विकास, अनुपयोगी भूमि को खेती योग्य बनाने में विश्विद्यालय के योगदान की सराहना की। खेती को रसायनों का प्रयोग से निकालकर प्राकृतिक खेती को बढ़ाने देने का आह्वान किया।

गांव में दिखने लगा नशामुक्त आंदोलन का असर

उन्होंने प्राकृतिक खेती को छोटे किसानों के लिए लाभप्रद बताया. मोटे अनाज के उत्पादन और उसके उपयोग के प्रति जागरुकता पर बल दिया. कहा कि सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए ‘‘पर ड्राप मोर क्राप‘‘ योजना बहुत उपयोगी है. जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबन्धन को बढ़ाने के लिए जलशक्ति अभियान, जल निकायों का नवीनीकरण सहित जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के कार्यों पर ध्यान दिया गया। भू-जल का गिरता स्तर भविष्य के जल संकट का संकेत है। इसलिए ‘जलभरो‘ कार्यक्रम का आयोजन कर जागरूकता लाई जा सकती है।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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