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बिधूना की जनसभा में मायावती दहाड़ी : सपा, भाजपा व कांग्रेस पर किया जमकर प्रहार, विकास और सुशासन के मुद्दे मांगा समर्थन

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को बिधूना क्षेत्र के भदौरा खेल मैदान में कानपुर मंडल के प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी जनसभा को सम्बोधित करते हुए सपा, भाजपा व कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें दलित विरोधी मानसिकता वाला करार दिया। उन्होंने सपा को जातिवादी व अराजक तत्वों की पोषक, कांग्रेस को दलित विरोधी मानसिकता वाली व भाजपा को संकीर्ण मानसिकता का शिकार बताया। सरकार बनने पर बेरोजगारों को रोटी रोजी देने एवं कर्मचारियों से पुरानी पेंशन बहाली का भी वायदा किया।

मायावती ने अपने करीब 30 मिनट के भाषण के दौरान उपस्थित जनसमूह से बसपा के पक्ष में मतदान की अपील करते हुये कहा कि उनकी पार्टी प्रदेश की सभी 403 सीटों पर पूरी मजबूती के साथ विकास और सुशासन के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में है। पार्टी ने सर्वसमाज के हित को ध्यान में रखते हुये टिकटों का बटंवारा किया है और अब मतदाताओं की जिम्मेदारी है कि वह जातिवादी मानसिकता वाले दलों को दरकिनार कर बसपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार को सत्ता में लाये जिससे प्रदेश में विकास की रफ्तार को तेज किया जा सके।

सपा शासन में अराजकतत्व रहते हावी – समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जब जब सपा प्रदेश की सत्ता में आयी है, तब गुंडे, माफियाओं, बदमाश, दंगाईयों और अराजक तत्वों का ही बोलबाला रहा है। सपा के शासनकाल में विकास के कार्य भी विशेष क्षेत्र, जाति और समुदाय तक सीमित हो जाते हैं जिसके चलते प्रदेश में ज्यादातर तनाव की स्थिति रहती है। सपा ने बसपा के महापुरुषों के नाम बने जिलों व संस्थाओं के नाम बदल दिए‌। अखिलेश यादव के सपा सरकार में एससी-एसटी एक्ट व आरक्षण भी खत्म कर दिया गया और अनुसूचित जातियों व जनजातियों के अधिकारियों का डिमोशन किया गया। सरकारी भूमि के आवंटन में दलितों का कोटा खत्म किया गया सपा को किसी भी कीमत पर सत्ता में नहीं आने देना है।

भाजपा संकीर्ण मानसिकता की शिकार – मैंने सोचा था कि सपा द्वारा दलितों के खिलाफ लिए गए निर्णयों को भाजपा बदलेगी लेकिन भाजपा भी जातिवादी संकीर्ण मानसिकता की शिकार रही। जिसके चलते दलित पिछड़ों को उचित न्याय नहीं मिल सका‌ प्रदेश में अपराध बढ़ा, भाजपा शासन में दलित, अल्पसंख्यक व महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। भाजपा शासन में दलितों और अल्पसंख्यकों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। भाजपा शासन में ब्राह्मण समाज और मुस्लिम उपेक्षित रहा। गरीबी, मंहगाई और बेरोजगारी बढ़ी है। डीजल पेट्रोल के दाम बेतहाशा बढ़े। उन्होंने भाजपा के जातिवादी संकीर्ण व तानाशाही शासन की मुक्ति के लिए बसपा के पक्ष में वोट करने की अपील की।

कांग्रेस की मानसिकता दलित विरोधी – मायावती ने कांग्रेस को दलित विरोधी मानसिकता वाली पार्टी बताते हुये कहा कि देश की सत्ता में सबसे अधिक समय तक रहने वाली कांग्रेस ने दलित, वंचित और पिछड़े वर्ग के उत्थान का प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश और अधिकतर राज्यों में कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया मगर अपने कार्यकाल में उसने दलित और पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिये कभी असरदार कदम नहीं उठाये। अपनी गलत नीतियों और कार्यप्रणाली की वजह से आज कांग्रेस केन्द्र और अन्य राज्यों से बाहर हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दलित उपेक्षित वर्गों के मसीहा बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया बल्कि उनके निधन पर भी इस पार्टी ने उनके सम्मान में एक दिन के राष्ट्रीय शोक को भी उचित नहीं समझा। दलित के उत्थान के लिये मंडल कमीशन की रिपोर्ट को भी कांग्रेस ने लागू नहीं किया था। बाद में हालांकि वीपी सिंह की सरकार में बसपा के प्रयास से मंडल कमीशन की रिपोर्ट को अमली जामा पहनाया गया। बसपा प्रमुख ने कहा कि सत्ता से बाहर रहने पर कांग्रेस को दलित, पिछड़ा और महिलाओं के हितों की बात सुहाती है और सत्ता मिलने पर उसके लिये ये वादे दोयम दर्जे को हो जाते है। न तो उसे विकास का ध्यान आता है और न ही महिलाओं की भागीदारी की बातें अच्छी लगती है।

अंत में उन्होंने कहा कि बिना पक्षपात और भेदभाव रहित कार्य करने के लिए बसपा की सरकार बनाएं। सरकार बनने पर प्रदेश में गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाया जाएगा। बेरोजगारों को रोजी-रोटी के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। विवादित कानून को लागू नहीं होने दिया जाएगा, हर स्तर पर कानून का राज स्थापित किया जाएगा, अपराधी तत्वों को जेल भेजा जाएगा, नई पेंशन नीति से हम सहमत नहीं इसलिए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन को लागू किया जाएगा। इसलिए सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के लिए बसपा की सरकार बनानी है। इस मौके पर कानपुर की 29 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी मौजूद रहे।

रिपोर्ट-राहुल तिवारी

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