कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक रस्साकशी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। सभी पार्टियां मतदाताओं को अपनी ओर लुभाने का पूरा प्रयास कर रही हैं। इसे लेकर राजनीतिक दलों की ओर से बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं।
इस बीच, सबसे अहम सवाल तो यह है कि आखिर राज्य की जनता क्या चाहती है? कर्नाटक के लोगों के लिए सबसे बड़े मुद्दे कौन से हैं? सर्वे में यह बात सामने आई है कि राज्य में मतदाताओं के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। दूसरे नंबर पर गरीबी है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि पिछले 5 साल में भ्रष्टाचार बढ़ा है। लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के सहयोग से सर्वे में यह खुलासा हुआ है।
सर्वे में राज्य सरकार की ओर से लिंगायत और वोक्कालिगा के लिए आरक्षण बढ़ाने के फैसले पर भी जनता की राय ली गई। यह पाया गया कि सर्वे में शामिल केवल एक तिहाई लोगों को ही आरक्षण में हुए इस बदलाव के बारे में जानकारी है। इसके मुताबिक, नई कोटा नीति के समर्थक ज्यादातर वे हैं जो भाजपा के पक्ष में हैं।
जो लोग इसका विरोध करते हैं, उनमें से अधिकतर कांग्रेस समर्थक हैं। सर्वे में टीपू सुल्तान की मौत को लेकर शुरू हुए विवाद के बारे में भी सवाल-जवाब किए गए। इसमें पाया गया कि तीन में से एक उत्तरदाता को ही इस मामले की जानकारी है। 74% का मानना है कि इस विवाद को उठाने से सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है।
सर्वे कुछ हफ्ते पहले 20 से 28 अप्रैल के बीच किया गया। इसके मुताबिक, सर्वे में शामिल 28 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। गरीबी दूसरे नंबर पर है, 25 प्रतिशत लोगों ने इसे मुख्य चिंता बताई।
सर्वे में पाया गया कि युवा मतदाताओं के लिए बेरोजगारी बड़ी समस्या है। ग्रामीण कर्नाटक में मतदाताओं के लिए गरीबी का मुद्दा अधिक बड़ा है। सर्वे में शामिल करीब 67 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में कीमतें बढ़ी हैं। वहीं, आधे से अधिक (51%) लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार बढ़ा है, जबकि 35% कहते हैं कि यह वैसा ही बना हुआ है।