उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास में आज पहली बार ऐसा हुआ है कि सत्तारूढ़ दल के लोग अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के विधायक सरकार के ख़िलाफ़ बग़ावत पर उतर आए हैं।
विधानसभा में सत्तापक्ष के विधायकों ने जमकर नारेबाजी की और ख़ुली बगावत कर दी है। सत्तापक्ष के विधायकों के धरने पर बैठ जाने के चलते बीजेपी में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया है। सत्ताधारी विधायकों के साथ विपक्षी दलों के विधायक भी उनकी माँगों के समर्थन में धरने पर बैठे हुए हैं।
बग़ावत की शुरुआत लोनी, गाज़ियाबाद से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने की। वह अपने साथ अधिकारियों के दुर्व्यवहार की बातें सदन में रखना चाहते थे। संसदीय कार्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया गया। विधायक के बार बार अनुरोध पर भी स्पीकर ने उन्हें बोलने नही दिया। इससे नाराज़ नंद किशोर गुर्जर सदन में चिल्ला कर अपनी बात कहने लगे। बीजेपी विधायक के समर्थन में उनकी ही पार्टी के अन्य विधायक भी खड़े हो गये और हंगामा करने गए।
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के विधायकों ने भी नंदकिशोर गुर्जर का साथ देते हुए हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा बढ़ने पर सदन की कार्यवाही 45 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। इस बीच नाराज विधायक वहीं सदन में ही धरने पर बैठ गए। विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
गुर्जर के बहाने यूपी में बीजेपी विधायकों की नाराज़गी खुलकर सतह पर आ गयी है। विधायक के प्रतिनिधि का कुछ दिन पहले अपने क्षेत्र में आपूर्ति निरीक्षक से कुछ विवाद हुआ था, जिस पर पुलिस ने मुक़दमा दर्ज किया था। विधायक प्रतिनिधि व ख़ुद गुर्जर को पुलिस ने घंटों थाने पर बैठाए रखा था। इससे गुस्साए विधायक ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखा था और सारी जानकारी दी थी। आज गुर्जर इसी मामले को विधानसभा में उठाना चाहते थे। स्पीकर ने उन्हें इसकी अनुमति नही दी, जिसके बाद पूरा हंगामा शुरु हुआ।
पूरे वाकये से हतप्रभ वरिष्ठ बीजेपी नेता व मंत्री पहले तो विधायकों को चेतावनी देते दिखे, बाद में सदन से बाहर चले गए। बीजेपी के नेताओं ने बाहर से अपने विधायकों को फोन कर धरने से उठकर आने के कहा। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष, संगठन प्रभारी से लेकर तमाम बड़े नेता आनन-फानन में विधानसभा के मंडप में पहुँच गए।
बवाल शुरू होते ही उनके साथ सत्तापक्ष के सैकड़ों विधायक खुलकर सामने आ गए। विधानसभा के स्थगन के बाद विधायकों का जब धरना शुरु हुआ तो सत्तापक्ष के 150 से ज्यादा विधायक उनके साथ थे। बाद में बड़े नेताओं के समझाने के बाद कुछ विधायक माने पर अंत तक 81 लोग धरने पर डटे रहे। समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के विधायकों ने इसे जनप्रतिनिधियों के सम्मान से जुड़ा मामला बताते हुए सत्तापक्ष के विधायकों का साथ देते हुए धरने में भाग लिया।