
भारत (India) ने संयुक्त राष्ट्र (UN) शांति अभियानों (Peacekeeping) में सुधार के लिए आम सहमति आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है। इसमें बेहतर वित्तपोषण (Better Financing), उन्नत तकनीक (Advanced Technology) और सदस्य देशों की बढ़ी हुई भूमिका (Increased Role of Member Countries) पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही गैरजरूरी मिशनों को बंद करने (Close Unnecessary Missions) और महिला एवं युवा शांति एजेंडे को मजबूत करने (Strengthen the Women and Youth Peace Agenda) की भी अपील की गई है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने सोमवार को यहां पीस ऑपरेशंस को नई वास्तविकताओं के अनुकूल बनाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बहस को संबोधित करते हुए भारत का पक्ष रखा। उन्होंने हालिया उभरते खतरों के जवाब में पीसकीपिंग को आधुनिक बनाने के लिए भारत का दृष्टिकोण पेश करते हुए कहा यूएन पीसकीपर्स को आज नॉन-स्टेट एक्टर्स, सशस्त्र समूहों, आतंकवादियों के साथ ही इंटरनेशनल क्रिमिनल नेटवर्क से जूझना पड़ता है। एडवांस्ड टेक्नोलॉजी ने गलत सूचना और हेट स्पीच, ड्रोन, आईईडी सहित नए जमाने के हथियारों के रूप में नई चुनौतियां पैदा की हैं। ये कुछ नई वास्तविकताएं हैं, जिनका पीसकीपर्स को सामना करना पड़ रहा है।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने हरीश के संबोधन की एक वीडियो क्लिप अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर साझा की है, जिसमें हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि सुधारों को आम सहमति के आधार पर बनाया जाना चाहिए, जिसमें सेना का योगदान देने वाले देशों की अधिक भागीदारी होनी चाहिए। भारतीय राजदूत ने चेतावनी दी कि फंडिंग की कमी पीसकीपिंग मिशंस की प्रभावशीलता को खतरे में डालती है। उन्होंने उन अनावश्यक मिशनों को बंद करने की भी अपील की, जो अब ऑपरेशनल उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते हैं।
इसके अलावा हरीश ने एक अन्य ब्रीफिंग के दौरान दक्षिण अफ्रीका के जी20 शेरपा ज़ेन डेंगोर द्वारा दिए संबोधन पर भारत का वक्तव्य देते हुए साउथ अफ्रीका की जी20 प्रेसीडेंसी और उनकी प्राथमिकताओं के लिए भारत के पूर्ण समर्थन को दोहराया। इस दौरान उन्होंने ग्लोबल साउथ के बढ़ते महत्व और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।