भारत ने शनिवार को सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु क्षमता वाली बैलिस्टिक ‘शौर्य मिसाइल’ के नए संस्करण का सफल परीक्षण ओडिशा तट पर किया, जो लगभग 800 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को मार सकती है। यह मिसाइल एक टन तक के पेलोड के साथ वॉरहेड ले जा सकती है। इसका पहला परीक्षण 12 नवम्बर, 2008 को चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में निर्मित परिसर-3 से किया गया था। उड़ान भरने पर लगभग 50 किमी. की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद यह मिसाइल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तरह उड़ने लगती है। लक्ष्य क्षेत्र में पहुंचने के बाद 20 से 30 मीटर की दूरी पर युद्धाभ्यास करने के बाद सटीक हमला करती है।
शौर्य मिसाइल सतह से सतह पर 800 किमी. की दूरी तक मार करने में सक्षम है, जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है। यह एक टन परंपरागत या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। शौर्य प्रक्षेपास्त्र भारत को अद्वितीय प्रहार करने की महत्वपूर्ण क्षमता देता है। शौर्य प्रक्षेपास्त्र को जल के नीचे मार करने वाली सागारिका प्रक्षेपास्त्र का भूमि संस्करण माना जाता रहा है लेकिन डीआरडीओ के अधिकारियों ने सागारिका कार्यक्रम के साथ इसके संबंध से इनकार किया है।
शौर्य मिसाइल को क्रूज मिसाइल हाइब्रिड प्रणाली के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अमेरिकी टॉमहॉक और इंडो-रूसी ब्रह्मोस जैसी पारंपरिक क्रूज मिसाइलें सटीकता के साथ वार तो करती हैं लेकिन इनके इंजन इन्हें धीरे-धीरे साथ ले जाते हैं, जिससे दुश्मन के विमानों और मिसाइलों की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। इसके विपरीत शौर्य मिसाइल का वायु स्वतंत्र इंजन इसे हाइपरसोनिक गति के साथ आगे बढ़ाता है, जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को बहुत पीछे छोड़कर यह सटीक हमला करने में सक्षम है। शौर्य एक बुद्धिमान मिसाइल है, क्योंकि ऑनबोर्ड नेविगेशन कंप्यूटर से निर्देशित करते ही यह सीधे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है।
शौर्य मिसाइल को एक मिश्रित कनस्तर में संग्रहित किया जाता है, जो लंबे समय तक रखरखाव के बिना स्टोर करने और परिवहन करने के लिए बहुत आसान बनाता है। गैस जनरेटर कनस्तर से मिसाइल को बाहर करके इसे इच्छित लक्ष्य पर तेज गति से फेंक देता है। इसे प्रक्षेपित करने से पहले तक दुश्मन या निगरानी उपग्रहों से भूमिगत भंडारों में छिपाकर रखा जा सकता है। सतह पर इसका उड़ान समय 500 सेकंड और 700 सेकंड के बीच है। इसे आसानी से सड़क मार्ग से ले जाया जा सकता है। इसे उपग्रहों द्वारा आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है, जो इसकी तैनाती को आसान बनाता है। उड़ान भरने पर लगभग 50 किमी की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद यह मिसाइल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तरह उड़ने लगती है। लक्ष्य क्षेत्र में पहुंचने के बाद 20 से 30 मीटर की दूरी पर युद्धाभ्यास करने के बाद सटीकता के साथ हमला करती है।
रक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि दो चरणों वाली अत्यधिक चुस्त शौर्य मिसाइल अत्यधिक घातक है, जो कम ऊंचाई पर भी 7.5 मैक के वेग तक पहुंच सकती है। पिछले परीक्षण के दौरान 12 नवम्बर, 2008 को शौर्य मिसाइल मैक 5 के वेग तक पहुंच गई, क्योंकि यह सतह पर 700 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ 300 किमी. की दूरी पार कर गई थी। मिसाइल ने अपनी सतह पर समान रूप से गर्मी फैलाने के लिए रोल का प्रदर्शन किया। उड़ान का समय 500 सेकंड से 700 सेकंड के बीच था। इसे उच्च प्रदर्शन नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली, कुशल प्रणोदन प्रणाली, अत्याधुनिक नियंत्रण प्रौद्योगिकियों और कनस्तर लॉन्च के साथ एक जटिल प्रणाली के रूप में वर्णित किया गया है।