नये वर्ष के साथ कुछ रोचक आंकड़े लोगों को रोमांचित करते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी आंकड़े होते हैं जिनसे जीवन शुरू होता है. नए साल एक जनवरी को भारत में 60 हजार बच्चे पैदा हुए. यूनिसेफ ने यह जानकारी दी है. पूरी दुनिया मे साल के पहले दिल पैदा होने वाले बच्चों का ये सबसे बड़ा आंकड़ा है. जबकि यह संख्या 2020 के पहले दिए जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या से 7,390 कम है.
चीन में इसी दिन 35,615 बच्चों ने जन्म लिया, जिसका क्रम बच्चों के जन्म के मामले में दूसरे पायदान पर आता है. यूनिसेफ का अनुमान था कि साल के पहले दिन दुनिया भर में 371,504 बच्चे पैदा होंगे. इसके सिर्फ 52 फीसदी बच्चों का जन्म दस देशों में होगा. इस साल दुनिया भर में 84 साल की औसत जीवन प्रत्याशा के साथ 140 मिलियन बच्चे पैदा होने की संभावना है. यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने संगठन की 75 वीं वर्षगांठ के आयोजन में कहा कि आज जन्म लेने वाले बच्चे एक साल पहले की तुलना में थोड़ी अलग दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं.
नया साल दुनिया को पुनः स्थापित करने का एक नया अवसर लाता है. वर्श 2020 दुनिया को एक वैश्विक महामारी, आर्थिक मंदी, बढ़ती गरीबी और गहरी असमानता का सामना कर रही है. ऐसे में यूनिसेफ के काम की जरूरत हमेशा की तरह महान है. एक तुलना के रूप में देखा जाए तो इस साल पैदा होने वाले बच्चों की संख्या दुनिया भर में कोरोनोवायरस बीमारी से मरने वालों की संख्या के लगभग 78 गुना है. भारत में 2021 में जन्म लेने वाले शिशुओं की जीवन प्रत्याशा 80.9 वर्ष होगी जो वैश्विक औसत से तीन वर्ष कम है.
सरकार द्वारा हस्तक्षेप, विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाइयाँ स्थापित करने जैसे अन्य कारणों से भारत में हर दिन एक अतिरिक्त हज़ार बच्चे जीवित रहते हैं. 2014 और 2020 के बीच सरकार द्वारा स्थापित 320 जिला स्तरीय एसएनसीयू की वजह से प्रत्येक वर्ष विशेष जरूरतों वाले एक लाख नवजात जीवित रहते हैं. यूनिसेफ बच्चों के बेहतर जीवन और उनके भविष्य के लिए काम करता है.