मानसिक स्वास्थ्य को लेकर यूनिसेफ, एनएसएस और पीएचएफआई ने यूपी के 75 जिलों में मनाया जागरुकता माह
लखनऊ। मानसिक तनाव कब बीमारी में बदल जाता है पता ही नहीं चल पाता। जानकारी के अभाव में समस्या बढ़ती चलती जाती है। कोविड काल में इस समस्या ने और भी बड़ा रुप ले लिया। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अगर छात्र-छात्राओं को जागरुक किया जाए तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए युवाओं और छात्रों के सहयोग से यूनिसेफ, एनएसस और पीएचएफआई द्वारा 10 सितंबर, 2021 से 10 अक्टूबर, 2021 के बीच पूरे माह ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ अभियान से लाखों लोग जुड़े।
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ अभियान के दौरान प्रदेश के 36 विश्वविद्यालयों से काउंसलर्स और एनएसएस के नोडल अधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान रंगोली प्रतियोगिता, पोस्टर कैंपेन और जनजागरुकता के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।
मानसिक बीमारी से ग्रसित लोग अपनी बात खुलकर किसी से कह नहीं पाते, इसके लिए एक काउंसिलिंग नंबर 6390905002 भी जारी किया गया। इस पर कॉल करके लोगों ने काउंसलर्स से सीधे बात की। इसके लिए 300 से अधिक काउंसलर्स को ट्रेनिंग दी गई। इनसे पूरे भारत से हजारों लोगों सीधे बात की। ऑनलाइन ऐप के जरिए काउंसलर्स ने काउंसिलिंग की रिपोर्ट भी तैयार की।
पूरे माह अलग-अलग जिलों में चली गतिविधियों और काउंसिलिंग के बाद विश्व मानसिक दिवस के दिन 10 अक्टूबर को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जहां एक्पटर्स ने अपने अनुभव साझा किए और बेहतरीन कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं और युवाओं की प्रशंसा की। इस दौरान प्रदेश भर से जुड़े युवाओं ने एक्सपर्ट्स से सीधे संवाद भी किया।
वेबिनार में यूपी में कामर्शियल टैक्स कमिश्नर मिनिस्थी एस नायर ने अपने पड़ोस में एक 17 साल के युवा द्वारा की गई्र आत्महत्या के बारे में समझाया कि मानसिक स्वास्थ्य कितना बड़ा मुद्दा है। बीमारी कोई अपराध नहीं होती, इसे या तो लोग नजरअंदाज करते हैं, या गाली देते हैं। पूरे माह के कार्यक्रम के सफल बनाने के लिए उन्होंने सभी की सराहना करते हुए इस तरह के काम करने के लिए आगे एक ग्रुप भी बनाने की सलाह दी।
वेबिनार में मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत और कारणों को समझाते हुए ‘खुशहाली गुरु’ के नाम से विख्यात बीएचयू के मनोचिकित्सक प्रो. संजय गुप्ता ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य नापने का पैमाना ही नहीं है। जीवन है तो समस्याएं हैं।” उन्होंने युवाओं से बात करते हुए सलाह दी कि अगर दोस्त कन्नी काट रहा है तो उससे बात जरूर करें, उस पर नजर रखें। इसी के साथ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई कारण भी गिनाए। एक अध्ययन के अनुसार कोरोना के दौरान सबसे अधिक 21-35 साल के युवाओं को मानसिक पीड़ा हुई।
‘मस्कुराएगा इंडिया’ प्रोग्राम के असिस्टेंट कोऑर्डिनेटर डॉ. प्रकाश चौधरी ने देश के 22% युवाओं के अवसाद होने की बात कही। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उससे स्थिति और खराब हो रही है। यूपी में एनएसस के रीजनल डायरेक्टर अंशुमाली शर्मा ने पूरे माह कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले युवाओं और एनएसएस के कोऑर्डिनेटर्स के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इसकी बहुत जरूरत है, इसे बड़े स्तर पर लेकर जाना है।
ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान यूनिसेफ यूपी सी4डी विशेषज्ञ भाई शेली ने इस अभियान के सही समय पर शुरू होने की जरूरत बताते हुए कहा कि पिछले से साल जब महामारी शुरू हुई तो कैरियार और नौकरी से संबंधित चिंताएं अधिक थीं, आज साइको-सोशल समस्याएं अधिक सामने आ रही हैं। यूनिसेफ ऐसे ही आगे इस तरह के कार्यक्रमों को जारी रखेगा। दिवस तो मनाना आसान है लेकिन पूरे माह ऐसी गतिविधियां करना बड़ी बात है। मनसिक स्वास्थ्य पर ज़मीन पर कम काम हुआ है, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करने के लिए हर विवि में मेंटल इलनेस सेंटर खोलने का भी प्लान है।
पीएचएफआई की कंसल्टिंग साइकैट्रिस्ट डॉ. नीलम बेहरे ने पूरे माह की गतिविधियों को बताते हुए कहा कि इस पूरे माह में एक चीज जो सबसे अधिक दिखी कि युवाओं में एक उत्साह दिखा कि हमारा कोई सामाजिक दायित्व है, और मिल कर काम करना है।