स्टॉकहोम वर्ल्ड वाटर वीक के दौरान एनएमसीजी द्वारा आयोजित की गई प्रदर्शनी कार्यक्रम में स्वीडन में भारतीय राजदूत तन्मय लाल द्वारा नमामि गंगे पवेलियन का उद्घाटन किया गया। इस प्रदर्शनी में नमामि गंगे मिशन की गतिविधियों उसकी तकनीकी, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जैसे विभिन्न पहलुओं को सामने रखा गया।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अधिकारियों ने इस उद्घाटन सत्र के बाद “जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिटीज” सत्र में लिया हिस्सा लिया। सत्र की शुरुआत गंगा गान से हुई, जिसके बाद भारत सरकार के एकीकृत नमामि गंगे मिशन की शुरुआत और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज विषय पर एक विस्तृत प्रजेंटेशन दी गई।
कार्यक्रम के दौरान स्वीडन में भारत के राजदूत तन्मय लाल को नमामि गंगे मिशन के पधाधिकारियों ने गंगा नदी कायाकल्प की प्रगति और विकास कार्यों के बारे में बताया।
उन्हें कार्यक्रम के पांच स्तंभों अविरल गंगा, निर्मल गंगा, जन गंगा, ज्ञान गंगा और अर्थ गंगा के बारे में भी जानकारी दी गई। साथ ही, हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल, गाद की निगरानी, उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग, जैव विविधता, पर्यटन और प्राकृतिक खेती जैसे कुछ विचारों पर विस्तार से चर्चा की गई। बताया गया कि कैसे घाट और श्मशान घाट के विकास कार्यों ने लोगों को नदी जोड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।
इस दौरान भारतीय राजदूत तन्मय लाल ने मिशन में समुदाय और लोगों की भागीदारी के लिए नमामि गंगे के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि शहरों को अपनी नदियों के कायाकल्प के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। इसे केवल नियामक मानसिकता के साथ ही नहीं बल्कि विकासात्मक और सुविधाजनक दृष्टिकोण के साथ भी किया जाना चाहिए।
चूंकि, दिसंबर 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नदियों के किनारे के शहरों की योजना बनाने में एक नई नदी केंद्रित सोच की आवश्यकता है।
ऐसे में कार्यक्रम के दौरान जल प्रणालियों के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए शहरों और नदियों के बीच संपर्क को फिर से मज़बूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
कार्यक्रम में यूरोप समेत विश्व के कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेते हुए जल क्षेत्र में संरक्षण और संचयन से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी।
रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी