बिधूना/औरैया। कस्बा बिधूना के एक गेस्ट हाउस में भारत वर्ष के द्वादश ज्योर्तिलिंग मेला का आयोजन चल रहा है। इसका शुभारम्भ दिनांक 08 अप्रैल को हुआ था। जिसमें सभी 12 ज्योर्तिलिंगों का दर्शन कराया जा रहा है। जिसको लेकर श्रद्धाअलुओं में आस्था दिखाई दे रही है, सुबह से शाम तक ज्योतिर्लिंगों के दर्शन को जुटती ही भीड़।
कस्बा बिधूना के भर्थना रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में 12 ज्योर्तिलिंग मंदिरों के दर्शन ब्रहम कुमारीज के तत्वाधान में भारत वर्ष के द्वादश ज्योर्तिलिंग मेला का आयोजन कराया जा रहा है। 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन व आरती का समय प्रातःकाल 8 बजे से 12 बजे तक एवं सायंकाल में 4 बजे से 8 बजे तक है। आज की आरती नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान अध्यक्ष पद के प्रत्याशी आदर्श कुमार मिश्रा ने की। पूरे कस्बे के श्रद्धालु घरों से निकल कर गेस्ट हाउस में पहुँच कर महादेव के सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर रहे हैं एवम सुबह शाम की आरती में सभी कस्बा वासी शामिल हो रहे है। इस द्वादश ज्योतिर्लिंग मेले के आयोजन से तो जैसे समूचा कस्बा भक्तिमय हो गया है।
12 ज्योर्तिलिंग मंदिरों के दर्शन जोकि इस प्रकार है
गिृश्नेश्वर ज्योर्तिलिंग-महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास स्थित है। पौराणिक कथानुसार यहां पर शिव ने कुसुमा नाम की श्रद्धालु स्त्री के मृत पुत्र को जीयदान दिया था।
केदारनाथ-यह मंदिर उत्तरांचल में हिमालय श्रृंखला के केदार पर्वत पर मंदाकिनी नदी के स्रोत के समीप स्थित है। दस ज्योर्तिलिंग के साथ जुड़ी हुई विष्णु, पार्वती और पाण्डवों से सम्बंधित कथायें है।
त्रयंबकेश्वर-यह मंदिर नासिक महाराष्ट्र में ब्रहमगिरि पर्वत के नीचे गोदावरी नदी के स्रोत के निकट स्थित है। गौतम मुनि, गंगा, ब्रहमा और विष्णु से संबंधित कई पौराणिक कथायें इससे जुड़ी हुई है।
विश्वनाथ-यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित गंगा तट पर स्थित है। कथानुसार यहां से पहले ज्योर्तिलिंग एक प्रकाश स्तम्भ के रूप् में धरती से निकल कर आकाश की ओर गया था।
नागेश्वर-ज्योर्तिलिंग का यह मंदिर सौराष्ट्र गुजरात में द्वारका के तट पर स्थित है। कथानुसार नागेश्वर महोदव सर्व विषों से रक्षा करते है।
रामेश्वरम्-यह विशाल मंदिर दक्षिण भारत में तमिलनाडु के समुद्री छोर के रामेश्वरम् द्वीप पर स्थित है।इसकी कथा रामायण से जुड़ी हुई है।
भीमाशंकर-यह मंदिर महाराष्ट्र में पुणे नगर के समीप सहयादरी पर्वत पर भीमा नदी के तट पर स्थित है। कथानुसार यहां पर शिव ने भीमा नाम के असुर का अन्त किया था।
वैद्यनाथ-यह मंदिर बिहार के सन्थल परगना क्षेत्र में प्राचीन तीर्थस्थल देवगढ़ में स्थित है। रावण द्वारा शिव की कठोर तपस्या की कथा इस ज्योर्तिलिंग से जुड़ी है।
ओंकारेश्वर-यह मंदिर मध्य प्रदेश के मन्धता पर्वत पर नर्मदा नदी के पास स्थित है। यहां शिव की पूजा ओंकारेश्वर नाम से की जाती है।
महाकालेश्वर-यह मंदिर मध्यप्रदेश में उज्जैन के महाकाल वन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक कथानुसार यहां पर शिव ने दुशाणा नामक राक्षस को मारा था।
मल्लिकार्जुन-यह मल्लिकार्जुन का ज्योर्तिलिंग मंदिर आन्ध्रप्रदेश में श्री शैला पर्वत पर पाताल गंगा कृष्णा नदी पर स्थित है। इसका संबंध शिव पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की कथा से है।
सोमनाथ-यहां श्री सोमेश्वर के नाम से पूजा होती है। यह मंदिर गुजरात में वेरावल के समीप प्रभास पातन में स्थित है। इसकी स्थापना की कथा दक्ष प्रजापति और चन्द्रमा से जुड़ी है।
रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन