रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
दुनिया इस समय कोरोना आपदा के सामना कर रही है। इससे मानवता को बचाना ही सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन यह तथ्य चीन और पाकिस्तान जैसे हिंसक प्रवत्ति के देशों के लिए कोई महत्व नहीं रखता। इस समय भी वह भारतीय सीमा पर युद्ध का माहौल बनाने में लगे है। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार भी चीन के इशारे पर नाच रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि वहां के लोगों का भावनात्मक लगाव भारत से है। यह बात काठमांडू स्कूल ऑफ लॉ की असिस्टेंट प्रो युगीछा संगरोला के लखनऊ में दिए गए संबोद्धन से उजागर हुई। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय विधि पर जोर दिया,उसके महत्व को रेखांकित किया। कहा कि उन्होंने इस बात को दुनिया को कोरोना तक ही सीमित नहीं रहना है। बल्कि इस बात को भी समझना है कि चीन, पाकिस्तान और नेपाल किस प्रकार भूमि विवाद उत्पन्न कर रहे हैं। भारत सरकार और उनके लोगों के लिए चुनौतियों से भरपूर है। जाहिर है कि चीन और पाकिस्तान जैसे मुल्क वैश्विक आपदा में अमानवीय आचरण कर रहे है। ऐसे मुल्कों पर नकेल के लिए विश्व व्यवस्था व विधि में बदलाव आवश्यक है। जीवन को सामान्य स्तर तक लाने में काफी वक्त लगेगा और हमें अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कोरोना से लड़ना तथा अपने विकास को भी आगे बढाना है। यह विचार लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में व्यक्त किये गए।
इसमें वर्तमान परिस्थिति के संदर्भ में विधि पर विचार विमर्श किया गया। विधि संकाय के प्रमुख एवं विभागाध्यक्ष प्रो सी पी सिंह ने प्रारंभ में बेबीनार के उद्देश्यों का उल्लेख किया था। उनका कहना था कि कोरोना आपदा ने दुनिया को कई अर्थों में बदला है। इसके प्रभाव वर्तमान नहीं भविष्य में भी परिलक्षित होंगे। ऐसे में वर्तमान के साथ साथ भविष्य पर भी विचार अपरिहार्य है। राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो बलराज चौहान,ट्विनवुड लॉ प्रैक्टिस लिमिटेड के डायरेक्टर हरजोत सिंह, एशियन यूनिवर्सिटी ऑफ वीमेन की अस्सिस्टेंट प्रो सृजना नाओमी,दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय की अस्सिटेंट प्रो डॉ शिखा कम्बोज अजमेर राजस्थान के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट न्यायमूर्ति रमन कुमार शर्मा सहित अनेक विद्वानों ने विचार व्यक्त किये। जस्टिस रमन कुमार शर्मा ने कोरोना के बाद की तथा उस समय की समस्याओं पर जोर दिया। उसके निवारण की बातों व कोर्ट की समस्याओं को बताया। कहा कि आज भी हमारे जिले के कोर्ट प्राथमिक चीजों की कमी से जूझ रहे हैं। कंप्यूटर की समुचित व्यवस्था नहीं है, इंटरनेट की समस्या है। इन सब चीजें की कमी कहीं न कहीं आज न्याय के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। उस बाधा के कारण लोगों का न्याय से विश्वास उठता जा रहा है। और लोग न्यायलय से दूर होते जा रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय मूट कोर्ट एसोशिएशन के अध्यक्ष पंचरिषी देव शर्मा ने भी विचार व्यक्त किये। कहा कि अब जीवन को सामान्य करने की कोशिश हो रही है और इस बात को समझना अत्यंत आवश्यक है कि हमें किस प्रकार अपने जीवन जीने की पद्धति को आज के समय के अनुसार बदलना होगा। विधि संकाय के प्रमुख एवं विभागाध्यक्ष प्रो सी पी सिंह ने विश्वास दिलाया कि जल्द से जल्द विधि संकाय को भी देश के अग्रणी विधि संस्थाओं के समक्ष लाया जाएगा।
प्रो.बलराज चौहान का व्याख्यान जीने की पद्धति और विधि पर केंद्रित था। उन्होंने बताया कि केवल लोगों के बदलने से सब चीजें सही नहीं होंगी हमें अपनी विधि को भी संशोधित करने पड़ेगा। उन्होंने इस महामारी के प्रभावों को भी बताया। उन्होंने कई देशों के संवैधानिक उपबंधों को भी रेखांकित किया उन्होंने बताया कि हमें अपने लोगों को जागरूक करने की भी महती आवश्यकता है। उन्होंने न्यूज़ीलैंड और ब्रिटेन के कोरोना मॉडल की परिचर्चा की और उसकी नीतियों के विषय में प्रकाश डाला। इसके बाद छात्रों ने अपने प्रश्नों को रखा जिसके उत्तर प्रोफेसर बलराज चौहान द्वारा दिये गए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आज विधि संकाय देश की प्रमुख विधि संस्थाओं के समझ हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को दर्ज कर रहा है। हरजोत सिंह जो कि ट्विनवुड लॉ प्रैक्टिस लिमिटेड, बर्मिंघम,यूनाइटेड किंगडम के डायरेक्टर हैं, द्वारा अपनी बात को रखा गया। उनके अभिभाषण का मुख्य केंद्र विधि और आत्मनिर्भरता पर केंद्रित था। उन्होंने बताया कि केवल स्वास्थ्य के विषय में काम करने से स्थिति सही नहीं होगी, क्योंकि इस महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। उनमें से एक बात ये भी है कि किस प्रकार हमें हर क्षेत्र में चाहे वो इलेक्ट्रिक हो, रक्षा हो या अन्य भी कोई हो हम किसी देश पर निर्भर नहीं रह सकते क्योंकि आज की जिओ पॉलिटिक्स की ये मांग है कि हम अपने में सक्षम बने।
हमारे पास सब कुछ है बस जरूरत है तो निवेश की और उसके लिए केंद्र सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा क्योंकि बहुत सारी कंपनियां हमारे यहाँ निवेश के लिए आतुर हैं। अब यूरोपियन यूनियन भी भारत में निवेश के लिए केंद्र सरकार के सम्पर्क में है और वो अपनी चीन पर निर्भरता को कम करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हमें इस चुनौती को अवसर में बदलना होगा,जिससे हम अपना बहुर्मुखी विकास कर पाएंगे। डॉ सृजना नाओमी ने बताया कि हमें कोरोना वायरस के बाद महिलाओं की स्थिति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि हमारे समाज का आधार महिलाएं हैं। उन्होंने बांग्लादेश में महिलाओं की स्थिति को भी उजागर किया। हम इस समय ऐसी स्थिति में हैं जो पहले कभी घटित ही नहीं हुई और जिसकी परिकल्पना भी नहीं कि गयी थी। ये समय प्रथम विश्वयुद्ध से भी ज्यादा भयंकर है क्योंकि इसका प्रभाव समस्त विश्व पर है।हमको इस समय महती आवश्यकता है एक ऐसे कानून की जो महिलाओं की स्थिति पर केंद्रित हो क्योंकि दिन प्रतिदिन उन पर घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
शिखा कम्बोज ने केंद्र डाटा प्रोटेक्शन और उपभोक्ता पर विचार व्यक्त किये। बताया कि जिस प्रकार अमेरिकी चुनावों में लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का किस प्रकार दुरुपयोग किया गया। आधुनिक युग में लोगों का डाटा बहुत महत्वपूर्ण चीज है। जिसपर सरकार को अवश्य ध्यान देना चाहिए। बताया गया कि किस प्रकार आज के समय में एप्प्स लोगों की व्यक्तिगत जानकारियों की कालाबाजारी करते हैं। कई सारी ऐसी डार्क वेबसाइट उपलब्ध हैं, जहाँ पर सैकड़ों लोगों का अति महत्वपूर्ण डाटा चंद डॉलर पर बेचा जा रहा है। बेबीनार में में देश विदेश के चार सौ से अधिक लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। दिल्ली, कोलकाता,दिसपुर,चेन्नई, मंगलौर,कश्मीर,पटना आदि जगहों के विद्यार्थियों ने इन व्याख्यानों को सुना। विदेश से कोलम्बिया, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका बांग्लादेश, ब्रिटेन आदि देशों के विद्यार्थी इस कार्यक्रम से लाभान्वित हुए। प्रोफेसर सी.पी. सिंह इन सभी का आभार व्यक्त किया।