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इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंसेस द्वारा “भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी: वन अर्थ, वन फैमली, वन फ्यूचर, वन हेल्थ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन

लखनऊ। इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंसेस द्वारा कुलपति प्रोफेसर अलोक कुमार राय के नेतृत्व में “भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी: वन अर्थ, वन फैमली, वन फ्यूचर, वन हेल्थ” पर जी-20 देशों के फार्मेसी विशेषज्ञ के द्वारा आज 7 फरवरी को परिचर्चा संपन्न हुई।

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इस परिचर्चा की अध्यक्षता गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर नवीन सेठ द्वारा की गयी। सन फार्मा के वाइस प्रेसीडेंट डाक्टर अजय खोपडे ने परिचर्चा की मध्यस्थता करी। कार्यक्रम के आरम्भ में परिचर्चा के संयोजक एवं इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर पुषपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने सभी का स्वागत किया और बताया की इस परिचर्चा का उद्देश्य भारतीय फार्मास्यूटिकल सेक्टर की जिम्मेदारियां एवं उपयोगिता तय करना है।

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प्रख्यात पैनेलिस्ट में फार्मेसी काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के प्रेसीडेंट डॉक्टर मोंटू पटेल, फ्रांस के वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर सर्ज मिगनानी, नाइपर हैदराबाद की डायरेक्टर डॉक्टर शशि बाला सिंह, सीबीएमआर के डायरेक्टर डॉक्टर आलोक धवन सम्मिलित रहे। इस पैनल डिस्कशन का मुख्य उद्देश्य यह रहा कि भारत की अध्यक्षता के अंदर होने वाली जी-20 समिट के माध्यम से एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके और फार्मास्यूटिकल सेक्टर में होने वाले डिजिटल हेल्थ इनोवेशन के अवसर तथा नये आयामों पर निर्णय लिया जा सके।

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नाइपर हैदराबाद की निदेशक डॉ शशि बाला सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत को फार्मा बाजार के रूप में जाना जाता है और हम मिलकर इसे फार्मास्युटिकल दुनिया बना सकते हैं, ताकि हम पूरी दुनिया को दवा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत हों। प्रख्यात पैनेलिस्ट ने स्वास्थ्य आपात स्थिति की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया पर चर्चा करी जिसके केंद्र बिंदु रहे वन हेल्थ अवं एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस। यह परिचर्चा फार्मास्यूटिकल सेक्टर की सुदृढ़ता एवं अवसरों की खोज के लिये आयोजित हुई।

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सीबीएमआर के निदेशक डॉ आलोक धवन ने देश भर में डिजिटल स्वास्थ्य नवाचारों के महत्व पर जोर दिया, जिसमें प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं, ताकि न केवल एआई और एमएल का उपयोग पूरी क्षमता से किया जा सके, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इससे लाभान्वित हो सकें। भारत ने अपने मेडिकल डेटा को डिजिटाइज़ करने और अपने पोर्टल के माध्यम से ABHA कार्ड जारी करने का बीड़ा उठाया है। परिचर्चा के मुख्य उद्देश्य फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग को मजबूत, सुरक्षित, प्रभावी करना तथा गुणवत्ता और कम कीमत में चिकित्सा को आम नागरिकों तक उपलब्ध कराने पर विस्तृत रूप से चर्चा हुई।

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फार्मेसी काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के प्रेसीडेंट डॉक्टर मोंटू पटेल जी ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर समाधान और स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में सुधार पर अपने विचार व्यक्त किये। इस परिचर्चा में लखनऊ विश्वविद्यालय की जी 20 समन्वयक प्रोफेसर पूनम टंडन मौजूद रहीं।

कार्यक्रम सह संरक्षक और डीन, फैकल्टी आफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने परिचर्चा के अंत में सभी गणमान्य एक्सपर्ट्स को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सम्पूर्ण देश के विभिन्न छात्र- छात्राएं तथा फार्मेसी जगत से जुड़े विद्यावानों और शिक्षकों ने सहभागिता करी।

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