औरैया। जिले में संचालित गोवंश आश्रय स्थलों के उचित संचालन हेतु जनपद स्तरीय अनुश्रवण मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति की बैठक में जिलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने ग्रामीण क्षेत्र में संचालित 34 गोवंश आश्रय स्थल का उचित संचालन तथा उनमें संरक्षित गोवंशो के समुचित भरण-पोषण उनको स्वस्थ व हष्ट-पुष्ट बनाए रखने एवं उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु गोवंश संरक्षण में रुचि रखने वाली स्वैच्छिक संस्थाओं, संगठन, कृषि उत्पादक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों एवं स्वयं सहायता समूह की सहभागिता हेतु समझौता पत्र जारी किए हैं।
जिलाधिकारी ने गुरुवार को समीक्षा बैठक में कहा कि इससे संरक्षक गोवंश की सुचारू रूप से देखभाल हो सकेगी। गोवंश आश्रय स्थलों के उचित संचालन हेतु लेने वाली संस्थाओं/संगठनों हेतु समझौता पत्र में कुछ उपबन्ध एवं शर्तें भी है जिनके तहत गोवंश आश्रय स्थलों का संचालन होगा। जिनके तहत गोवंश आश्रय स्थल में संरक्षित गोवंश की गणना ईयर टैगिंग के आधार पर की जाएगी जिसमें छह माह तक आयु के दूध पीते बछड़े बछिया सम्मिलित नहीं किए जाएंगे उनकी गिनती मां के साथ होगी तथा संरक्षित गोवंश की बिक्री किसी भी दशा में अनुमन्य नहीं होगी। संबंधित संस्था द्वारा 30 रूपये प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से भरण पोषण हेतु अनुमन्य धनराशि के अंतर्गत पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार, भूसा, हरा चारा एवं दाने की व्यवस्था करनी होगी। संबंधित संस्था द्वारा आवश्यकतानुसार एवं नियमानुसार ग्राम स्तरीय समिति जिसमें ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव एवं लेखपाल सदस्य होंगे से अनुमोदन के उपरांत सेवादारों की व्यवस्था गोवंश आश्रय स्थलों पर की जाएगी। सेवादारों का पारिश्रमिक भुगतान राज्य वित्त से किया जाएगा। सेवादारों का पारिश्रमिक 5000 रूपए प्रति माह निर्धारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय समिति द्वारा हरे चारे की व्यवस्था की जाएगी जिसमें ज्वार, बाजरा एवं जई 120 रूपए प्रति कुंतल, बरसीम एवं नेपियर घास 100 रूपए प्रति क्विंटल, मक्का 150 रुपए प्रति कुंतल व सामान्य घास की दर 75 रूपए प्रति कुंटल होगी। विभिन्न प्रकार की फसलें कटने के बाद फसल अवशेष जैसे पराली /घास आदि की कटाई एवं भूसे में परिवर्तित करने तथा गोवंश आश्रय स्थल तक पहुंचाने, ढुलाई की मजदूरी का भुगतान पंचायती राज के शासनादेश के अनुसार ग्राम पंचायत के राज्य वित्त की धनराशि से किया जा सकता है। और गोवंश आश्रय स्थलों में आधारभूत संरचना का विकास जिसमें टीन सेट, चलही, बाउंड्री वॉल, इंटरलॉकिंग पेयजल आपूर्ति इत्यादि व्यय ग्राम पंचायत निधि व क्षेत्र पंचायत निधी अथवा अन्य निधी से किया जाएगा विद्युत कनेक्शन की व्यवस्था एवं विद्युत बिल का भुगतान ग्राम पंचायत के राज्य वित्त से वहन किया जाएगा।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर