अखिलेश यादव ने भाजपा को आड़े हाथोंं लेते हुए कहा कि मुफ्त इलाज, मुफ्त दवाई का शोर मुख्यमंत्री जी बहुत करते हैं पर सच यह है कि….
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Saturday, April 30, 2022
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य इंडेक्स में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्री के दौरों के बाद भी हालात में बदलाव का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा है। विज्ञापनों पर सब कुछ ठीकठाक है पर धरातल पर सब चौपट नज़र आता है।
शाहजहांपुर के मेडिकल कॉलेज में पैरा मेडिकल स्टाफ का अतापता नहीं मिलता है, तीमारदारों को स्ट्रेचर खुद ही खींचना पड़ रहा है। मेरठ में एम्बूलेंस घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिली तो पीठ पर बीमार बेटी को लादकर पिता अस्पताल में इलाज के लिए भटकता रहा। प्रतापगढ़ के सरकारी अस्पताल में एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज हो रहा है। ओपीड़ी में कभी डाक्टर नहीं बैठते तो कभी समय से पहले ही बंद हो जाती है। सुल्तानपुर के जिला अस्पताल में मरीज फर्श पर तड़पते दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करोड़ों रूपए की धनराशि बजट में आवंटित होती है, पर वह कहां जाती है, पता नहीं? आगरा के सरकारी अस्पताल में खटारा एम्बूलेंस और टूटे तख्त मरीजों की तकदीर बन गए हैं। कोई लोगों का दुःखदर्द सुनने वाला नहीं हैं।
लखनऊ में भी, जहां पूरा शासन-प्रशासन सिर पर बैठा है, अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार दूर की कौड़ी लग रहा है। मरीजों से अभद्रता, समय पर इलाज न मिलने और इलाज के नाम पर तमाम जांचों के नाम पर लूट खुलेआम हो रही है। प्राईवेट अस्पतालों के दलालों को छूट मिली हुई है। मुफ्त इलाज, मुफ्त दवाई का शोर मुख्यमंत्री जी बहुत करते हैं पर सच यह है कि जनता को धोखा दिया जा रहा है। आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना जैसी बातें और दावे हवाई हैं।
लोग त्रस्त हैं। भाजपा की डबल इंजन सरकार के बावजूद अस्पतालों में गम्भीर बीमारियों की जांच के लिए लगे बड़े-बड़े यंत्र-उपकरण धूल खा रहे हैं। भाजपा सरकार में बिजली का भारी संकट होने से अस्पतालों में बीमार लोग एवं उनके ऑपरेशन और उपचार के लिए डॉक्टर भी बिजली की आवाजाही से त्रस्त हैं। जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जी ने स्वयं कह दिया है कि स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों की वर्तमान हालत देखकर ही शर्मिन्दा हैं तो और कहां जाये?
रिपोर्ट-दयाशंकर चौधरी