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आज प्रातः गौरीकेदारेश्वर भगवान पर जलाभिषेक 

 

  • शुक्र और राहु की युति ।

शुक्र और राहु एक दूसरे के परम मित्र ग्रह हैं। शुक्र प्रेम, विवाह, सौंदर्य एवं श्याम वर्ण इत्यादि का कारक ग्रह है। राहु गुप्त संबंधों एवं प्रेम संबंधों का कारक है। व्यक्ति को श्याम रंग देता है। कुंडली में दोनों ग्रहों की युति जातक को विपरीत लिंग के प्रति बहुत अधिक आकर्षण देती है ।

️राहु के साथ यदि शुक्र लग्न में है तो ‘क्रोध योग’ होता है। यह योग जातक को क्रोधी स्वभाव का बनाता है और आजीवन लड़ाई-झगड़े एवं विवाद में फँसाये रखता है पुरुषों की कुंडली मे शुक्र विवाह और भोगविलास का कारक है। राहु की शुक्र के साथ युति होने पर जातक में भोग विलास बहुत अधिक होत है इनकी युति सप्तम भाव मे होने पर विवाह होने में समस्या होती है या विवाह होने पर झगड़े तलाक में बदल जाते है।

आज प्रातः गौरीकेदारेश्वर भगवान पर जलाभिषेक 

यदि शुक्र राहु की युति पति पत्नी दोनों की कुंडली में सप्तम भाव में है तो वैवाहिक जीवन में कष्ट एवं संबंध विच्छेद का कारण भी बन सकती है। ऐसे जातक के अपने पति या पत्नी के अलावा दूसरी जगह संबंध अवश्य ही बनते हैं।।

  • यदि पंचम भाव में राहू, शुक्र की युति हो तो वह जातिका यौन रोग या गर्भपात की शिकार हो सकती है

राहु के साथ शुक्र की युति से व्यक्ति गलत आदतों का शिकार हो सकता है। व्यक्ति अधर्म के मार्ग पर चलने को विवश हो जाता है। इसके साथ साथ शुक्र के शुभ गुण राहु समाप्त कर देता है। और जातक गलत विषयो की तरफ चल पड़ता है।।

राहु एक विच्छेदात्मक ग्रह है, जब इसका प्रभाव सप्तम भाव पर पड़ता है या सप्तमभाव के स्वामी व शुक्र पर पड़ता है तो यह प्रभाव जातक के विवाह में देरी, व तलाक की और ले जा सकता है।यदि राहू के साथ शनि और सूर्य का प्रभाव भी सप्तम भाव पर हो तो अशुभ फलों में और तीव्रता आ जाती है। और विवाह टूट जाता है।।
जिस जातिका के पंचम भाव में राहू या केतु होता है, उस जातिका का मासिक धर्म अनियमित होता है, जिस कारण से जातिका को संतान होने में परेशानी हो सकती है।

  • सप्तम भाव में राहू, शनि, तथा मंगल की युति हो तो, दाम्पत्य जीवन कष्टमय होता है

सप्तम भाव में राहू होने से वैवाहिक जीवन को कष्टमय कर देता है। और पति और पत्नी साथ साथ नही रह पाते।।
यदि शुक्र या गुरु पर राहू की दृष्टि हो तो अंतर्जातीय विवाह हो सकता है। अगर यह दृष्टि सम्बन्ध सप्तम भाव मे हो तो अंतरजातीय विवाह हो सकता है यदि तृतीय भाव मे दृष्टि संबंध बने तो जातक के छोटे भाई बहन अंतरजातीय विवाह कर सकते है।

सबसे महत्वपर्ण बात-

राहु जब शुक्र के साथ स्त्री या पुरुष किसी की भी कुंडली में अपनी युति बनाता है तो जातक अगर पुरुष है तो जातक स्त्रियों सुंदरता पर मोहित रहता है और अगर यह योग स्त्री की कुंडली में होता है तो वह पुरुषों की तरफ आकर्षित हो जाती है। क्योंकि राहु एक नशा है और राहु जातक को बहुत बहकाता है। ऐसे जातक या जातिका एक दूसरे की सुंदरता के प्रति जल्दी आकर्षित हो जाते है अगर राहु को मंगल का भी सहयोग म.िल जाता है और वह पुरुष या स्त्री सेक्स में पागलपन पर उतारू हो जाती है और अनैतिक व्यवहार अपने पति या पत्नी से करता है।

-पं. आत्माराम पाण्डेय

 

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