भारत की मदद से श्रीलंकाई नौसेना के लिए बनाए जा रहे 4000 टन क्षमता वाले फ्लोटिंग डॉक के निर्माण की शुरुआत का औपचारिक समारोह (कील-लेइंग) बुधवार को आयोजित हुआ।
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यह समारोह मेसर्स डेम्पो शिपबिल्डिंग एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड (डीएसईपीएल), गोवा में आयोजित किया गया। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले के साथ ही श्रीलंकाई नौसेना के उच्चाधिकारी और फ्लोटिंग डॉक के संयुक्त निगरानी समिति के सदस्य भी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े।
कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा श्रीलंकाई नौसेना के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित 4000 टन क्षमता वाले फ्लोटिंग डॉक का कील-लेइंग समारोह डेम्पो शिपयार्ड, गोवा में आयोजित हुआ। उच्चायुक्त और श्रीलंकाई नौसेना के कमांडर प्रियंता परेरा ने इसमें वर्चुअली हिस्सा लिया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में उच्चायुक्त बागले ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह परियोजना भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग, सौहार्द और मित्रता के स्थायी बंधन का प्रतीक है। उन्होंने कहा हम भारत के ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) सिद्धांत और ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में श्रीलंका रक्षा बलों के क्षमता निर्माण और निरंतर विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
बागले ने इस बात पर जोर दिया कि श्रीलंका की नौसेना को फ्लोटिंग डॉक प्रदान करने की परियोजना ने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच मजबूत संबंधों को और सुदृढ़ किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि फ्लोटिंग डॉक श्रीलंकाई नौसेना की सभी रखरखाव जरूरतों को पूरा करेगा और क्षेत्र में उसकी समुद्री सुरक्षा को बढ़ाएगा।
उन्होंने परियोजना में योगदान के लिए सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया और इसके समय पर पूरा होने की कामना की। बता दें कि यह फ्लोटिंग डॉक 115 मीटर लंबाई तक के जहाजों को डॉक करने में सक्षम है।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी