सम्पूर्ण भारत में त्योहारों व हर खास मौके पर घरों, दफ्तरों व अन्य प्रतिष्ठानों में रंगोली सजाई जाती है। घर के दरवाजे पर महिलाएं एक से बढ़कर एक रंगोली बनाती हैं। Rangoli के शुभ मौके पर घरों को वंदनवार और फूलों से सजाया जाता है। इसी के साथ मां लक्ष्मी के आगमन पर उन्हें खुश करने के लिए रंगोली भी बनाई जाती है।
कैसे हुई Rangoli शब्द की उत्पत्ति
रंगोली शब्द संस्कृत के एक शब्द ‘रंगावली’ से लिया गया है। इसे अल्पना भी कहा जाता है। भारत में इसे सिर्फ त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि शुभ अवसरों, पूजा आदि पर भी बनाया जाता है। इससे जहां आने वाले मेहमानों का स्वागत होता है, वहीं भगवान के प्रसन्न होने की कल्पना भी की जाती है।
दीपावली या अन्य खास मौकों पर भी अनेक घरों में रंगोली बनी देख कर मन प्रसन्न होता है। इसे त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव, विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में भी द्वार पूजन की परम्परा प्राचीन काल से रही है।
- सत्यनारायण भगवान की कथा के दिन आटे से चौक पूरन की परम्परा आज भी है।
- दीपावली पर मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के दरवाजे पर अलग-अलग रंगों से रंगोली बनाई जाती है।
- इसमें साधारण चित्र और आकृतियां हो सकती हैं या फिर देवी-देवताओं की आकृतियां।
- रंगोली में बने स्वस्तिक, कमल का फूल, लक्ष्मी जी के पदचिह्न देख कर मन प्रफुल्लित होता है।
- ये चिह्न समृद्धि और मंगलकामना का संकेत भी करते हैं। इसीलिए घरों, देवालयों में हर दिन रंगोली बनाई जाती है।
- वास्तु में भी रंगोली बनाने का अपना एक अलग ही महत्व है।
![](https://samarsaleel.com/wp-content/uploads/2018/04/IMG-20180328w-225x300.jpg)