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जानिए पैनिक अटैक के लक्षण और कारण

 पैनिक अटैक के ज्यादातर मामलों में मरीज इसे समझ नहीं पाता क्योंकि आकस्मित ऐसी स्थिति में वह खुद को संभाल नहीं पाता. आसपास उपस्थित लोग भी इसे हार्ट अटैक, मिर्गी या कोई गंभीर दौरा समझ गुमराह हो जाते हैं. लेकिन 20 से 30 मिनट की समयावधि के लिए हाेने वाले पैनिक अटैक ( Panic Attack ) का शरीर पर गहरा प्रभाव होता है.

लक्षण और कारण ( Panic Attack Causes And Symptoms )
अचानक किसी बात का भय हावी होना. तनाव के साथ दिल की धड़कनें तेज होना. सीने में दर्द, बेचैनी, उल्टी, पेट बेकार होना, पैरों का कांपना, जोर-जोर से दिल धड़कना, छोटी-छोटी बातों पर तनाव, सर्दी में भी गर्मी लगना, बैलेंस खोना और बेहोशी छाना प्रमुख लक्षण हैं. यह अटैक किसी को भी आ सकता है. प्रमुख कारण ज़िंदगी में आया कोई बड़ा परिवर्तन है.

इलाज ( Panic Attack Treatment )
20 – 30 मिनट की समयावधि वाले इस पैनिक अटैक का प्रभाव शरीर पर गहरा होता है. कई मामलों में इसके बाद इसके होने का भय ही अगले अटैक का कारण बनता है. अक्सर देखा गया है कि जहां भी पैनिक अटैक आता है, लोग वहां जाने से भी घबराने लगते हैं. यदि मरीज की हालत में 10 मिनट के अंदर सुधार न आए तो जल्द ही डॉक्टरी सलाह लें. जिसे यह अटैक आया है उसे खुली स्थान पर लेटाकर उसके कपड़े ढीले कर दें. इस दौरान जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें. शांत रहने की प्रयास करें.

मधुमेह, बीपी के राेगी सतर्क रहें
मधुमेह रोगी में शुगर लेवल आकस्मित कम होने से घबराहट के कारण यह अटैक आ सकता है. ये ज्यादा देर भूखे न रहें. बीपी, हृदय, थायरॉयड  अस्थमा रोगियों के लिए यह अटैक एक गंभीर इशारा है. लो  हाई दोनों स्थितियों में बीपी रोगी सतर्क रहें. बीपी और दिल रोगी को यदि चक्कर आए तो अलर्ट हो जाएं. वहीं अस्थमा रोगी में इस अटैक के दौरान सांस रुकने लगती है या रुकने का अहसास होता है. पहले आए अटैक से भय की स्थिति बन जाए तो हल्के में न लें. युवा  40 पार में इसके मुद्दे अधिक देखे जाते हैं. खासकर अधिक तनाव लेने, नौकरी जाने का खतरा या प्रतियोगी परीक्षाएं देने वालों में भी इसकी संभावना रहती है. स्त्रियों में अधिक तनाव लेने की प्रवृत्ति के कारण तुलनात्मक रूप से ज्यादा खतरा रहता है.

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