एयर पॉल्यूशन कई तरह की बीमारियों का कारण होता है. ऐसी रिसर्च भी आई हैं जिसमें कहा गया है कि प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है. पॉल्यूशन में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड , कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), और वाष्पशील कार्बनिक कंपाउंड कई बीमारियों का कारण बनते हैं.
इनके संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा रहता है. कई अध्ययनों से ये पता चलता है कि वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार के कैंसर होने का रिस्क रहता है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की रिसर्च बताती है कि वायु प्रदूषण में काफी मात्रा में कार्सिनोजेन्स होता है जो कैंसर का कारण बनता है.
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे व्यास वाले कण), से फेफड़ों का कैंसर होता है. यह छोटे कण फेफड़ों में गहराई तक चले जाते हैं. जो लंबे समय बाद कैंसर का कारण बनते हैं. इसके अलावा पॉलीसिलिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) भी बहुत खतरनाक होता है. ये कार्बनिक पदार्थों के जलने से पैदा होने वाले केमिकल्स जो इन चीजों के जलने के बाद हवा में फैल जाता है. जब इस प्रदूषित हवा में कोई सांस लेता है तो ये पदार्थ लंग्स में जाते हैं और इनसे कैंसर होता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेतमें हेड एंड नेक कैंसर सर्जन डॉक्टर अक्षत मलिक बताते हैं कि गा़ड़ियों से निकलने वाला धुंआ भी कैंसर का एक बड़ा कारण बनता है. गाड़ियों के धुएं में वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOCs) और फॉर्मलाडेहाइड जैसे वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड होते हैं. ये भी कार्सिनोजेन्स के रूप में जाने जाते हैं. कार्सिनोजेन्स एक ऐसा पदार्थ है जो कैंसर का कारण बनता है.
आर्सेनिक
डॉ मलिक बताते हैं कि प्रदूषित हवा मेंआर्सेनिक होता है. आर्सेनिक वाली प्रदूषित हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने फेफड़ों और त्वचा के कैंसर का जोखिम रहता है. इनके अलावा भी कई ऐसे फैक्टर हैं जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं. जैसे किप्रदूषकों का स्तर क्या है, कितने समय पर इसके संपर्क में रहा गया है. ऐसे में प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयास करना चाहिए. लोगों को सलाह है कि घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और बाहर जाते समय मास्क लगाकर रखें.