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मृत्‍यु के समय होने वाले अनुभवों के बारे में गुरुड़ पुराण में क्‍या कहा गया, जानिए यहाँ

गुरुड़ पुराण को हिंदू धर्म में महापुराण का दर्जा दिया गया है. इस पुराण में व्‍यक्ति के जीवन, मृत्‍यु और मृत्‍यु के बाद आत्‍मा के सफर के बारे में भी बताया गया है.

गरुड़ पुराण में भगवान विष्‍णु द्वारा व्‍यक्ति के कर्म, मृत्‍यु के बाद मिलने वाले उनके फल आदि के बारे में विस्‍तार से बताया गया है. साथ ही इसमें अच्‍छा और सुखी जीवन जीने के बारे में बताया गया है. स्‍वर्ग-नर्क की अवधारणा के बारे में बताया गया है. इसमें मृत्‍यु के समय होने वाले अनुभवों के बारे में क्‍या कहा गया है, जानते हैं.

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गरुड़ पुराण के अनुसार व्‍यक्ति की मृत्‍यु से पहले उसकी आंखों की रोशनी कम होने लगती है. उसे अपने आसपास के लोग भी दिखाई नहीं देते हैं. ऐसे व्‍यक्ति को शीशे, पानी और तेल आदि में अपना चेहरा नजर आना बंद हो जाता है. साथ ही ऐसे व्‍यक्ति का चेहरा आइने में विकृत दिखने लगता है.

उसे यमदूत नजर आने लगते हैं, वह काफी डर जाता है. जिन लोगों ने बुरे कर्म किए होते हैं, उन्‍हें अपनी आंखों के सामने से वो सारे बुरे काम गुजरते हुए दिखते हैं. उसे डर लगता है. वह अपने गुनाहों की माफी मांगता है. उसकी मृत्‍यु बेहद कष्‍टदायी होती है.

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वहीं जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए होते हैं. उन्हें मृत्यु के दौरान एक दिव्य प्रकाश दिखाई देता है. ऐसे लोगों को मृत्यु के समय बिल्‍कुल कष्‍ट नहीं होता है, बल्कि वे आसानी और शांति से प्राण त्‍याग देते हैं और सीधे भगवान की शरण में मुक्ति पाते हैं.

इसलिए व्‍यक्ति को मरने से पहले मोह-माया त्‍याग देनी चाहिए. इससे व्‍यक्ति को अपने शरीर को त्‍यागने में मुश्किल नहीं आती है. साथ ही अच्‍छे कर्म करने चाहिए क्‍योंकि इन्‍हीं कर्मों के आधार पर तय होता है कि व्‍यक्ति को स्‍वर्ग मिलेगा या नर्क में कष्‍ट उठाने पड़ेंगे.

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