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आखिर क्यों लोग विजय बहादुर यादव को ‘हार्ट ऑफ लखनऊ’ कहते हैं

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विकास कार्यों को नयी दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ज़िला पंचायत लखनऊ अध्यक्ष विजय बहादुर यादव 2010 से आज तक जिला पंचायत सदस्य के रूप में क्षेत्र वासियों के बीच अपनी सेवाएं देते आये हैं।

अपने कार्यकाल के दौरान विजय यादव ने ना केवल विकास के क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में भी एक अलग मुकाम हासिल किया है। उनकी इस उपलब्धि ने साबित कर दिया की यदि इंसान में समाज सेवा का जज़्बा और विकास के प्रति लगन हो, तो आपको अपने लोगों के बीच अलग पहचान बनाने से कोई नहीं रोक सकता। यही कारण है कि जनता की सेवा करने के संकल्प और दृढ निश्चय की बदौलत ही विजय बहादुर यादव को उनके क्षेत्र की जनताआज “नेता जी” के नाम से पुकारती है।

30 नवम्बर, 1969 को लखनऊ के गोमती नगर के एक सामान्य परिवार में जन्में विजय बहादुर यादव बचपन से ही कुछ अलग कर गुजरने की चाह रखते थे। शायद यही कारण था की बचपन से ही पढ़ाई से ज्यादा उनकी रुचि समाज सेवा की ओर कुछ ज्यादा रही। उनके इसी रुझान ने आगे चलकर उन्हें जमीन से जुड़े नेता के रूप में स्थापित कर दिया।

बतौर विजय यादव, उन्होंने बाल्यावस्था से ही ठान लिया था कि सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था के इतर अपना पूरा ध्यान समाज और जनता के विकास पर ही केंद्रित करना है। अपने उसी इरादे को पूरा करने के लिए श्री यादव पूरी लगन से इस मुकाम तक पहुंचने की कोशिश में जुट गए।

राजनीति से जुड़ाव: अस्सी से नब्बे के दौर में लखनऊ एक ऐसे शहर के रूप में उभर रहा था जहां न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि क्षेत्रीय और छात्र राजनीति के क्षेत्र में भी कई छोटे बड़े बदलाव तेज़ी के साथ उभर रहे थे। आसपास की इस उथल पुथल और राजनीतिक बदलाव का असर युवावस्था में कदम रख चुके “नेता जी” पर भी पड़ा। कुछ कर गुजरने की चाहत में विजय यादव निकल पड़े समाज सेवा की दिशा में अपना योगदान देने के लिए।


17-18 साल का एक युवक जिसको राजनीति की तनिक भी समझ नहीं थी, वो मन में जनसेवा का भाव रखकर समाज सेवा करने लगा। कसीस ने खूब कहा है कि अनुभव ही आपका सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। इतनी कम उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश करने वाले नेताजी का अनुभव आज भी उनके द्वारा कराये गए विकास कार्यों और युवाओं को निरंतर उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों से साफ़ तौर पर परिलक्षित होता है।

लखनऊ जिला पंचायत अध्यक्ष के अपने कार्यकाल में सालों तक ज़मीनी तौर पर लोगों से जुड़कर व जनसंवाद कर लोगों की समस्याओं से रूबरू होकर, नेताजी ने उनकी आवाज़ को एक नई दिशा दी। उन्होंने ना केवल अपने क्षेत्र बल्कि पूरे लखनऊ में श्री यादव ने अपने विकास कार्यों के द्वारा नित नए कीर्तिमान स्थापित किए। यही कारण है कि 10 साल बाद भी नेताजी पर उनकी जनता का विश्वास कायम है और आज भी जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में नेताजी जनता के लिए पहले की तरह ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

लोग उन्हें हार्ट ऑफ़ लखनऊ क्यों कहते हैं: समय के साथ साथ राजनीति में यूं तो कई पार्टियां और चेहरे आते जाते रहते हैं। लेकिन इनमें से कुछ ऐसे चेहरे होते हैं, जो अपने व्यक्तित्व और कार्यशैली से लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं। समाज सेवा का जो संकल्प नेता जी ने राजनीति की राह चुनते समय लिया था, वो समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने, गरीबों और पिछड़े तबके के लिए लगातार किये जाने वाले उनके प्रयासों के द्वारा आज भी कायम है। वोट बैंक की राजनीति के इस दौर में, विजय यादव को उनके द्वारा कराये गए विकास कार्यों के लिए जाना जाता है।

साल 2012 से 2020 तक विजय बहादुर यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष, लखनऊ के रूप में कार्य किया। लखनऊ शहर के विकास कार्यों में उनके योगदान की बदौलत ही विजय बहादुर यादव को लोग उन्हें हार्ट ऑफ़ लखनऊ के नाम से जानते हैं। अपने अनुभव और मार्गदर्शन से न केवल जिला पंचायत बल्कि प्रशासन को भी “नेताजी” ने निरंतर दिशा दिखाकर शहर को चमकाने और विश्वपटल पर लखनऊ के विकास मॉडल को स्थापित करने में कोई कसार नहीं छोड़ी।

आज भी विजय यादव का प्रयास रहता है कि हर संभव तरीके से ज़रूरत के समय वो अपने लोगों के साथ खड़े रहें, और जितना सम्भव हो अपने स्तर पर उनकी समस्याओं के निदान के लिए सहयोग दें। विजय यादव ने, ना केवल समाज और समाज सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है, बल्कि इसे विकास से जोड़कर प्रदेश की राजनीति में एक नया उदाहरण स्थापित किया है।

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