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श्रमिक रोजगार का अभियान

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
अनेक राज्यों से बड़ी संख्या में यूपी आ रहे श्रमिकों को विपक्ष ने मुद्दा बनाने का प्रयास किया था। उनका अनुमान था कि उत्तर प्रदेश सरकार पर लाखों श्रमिकों की वापसी भारी पड़ेगी। सरकार इस समस्या को संभाल नहीं सकेगी। इस समस्या का दूसरा पहलू कोरोना संक्रमण भी था। निश्चित ही यह जटिल समस्या थी। इसी के अनुरूप विपक्ष ने राजनीति भी शुरू कर दी थी। कांग्रेस की बसों का राग भी इसी राजनीति का हिस्सा था। यह बात अलग है कि यह दांव उल्टा पड़ा। इसके लिए कांग्रेस को ही फजीहत उठानी पड़ी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमिकों की सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी का मोर्चा स्वयं संभाला। उन्होंने श्रमिकों की जांच,चिकित्सा,भोजन आदि का प्रबन्ध करते हुए उन्हें सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाया। योगी यहीं तक नहीं रुके,उन्होंने इस श्रमिको को रोजगार देने की कार्ययोजना बनाई, कुछ ही दिनों में इसका क्रियान्वयन भी शुरू हो गया। मनरेगा के तहत साठ लाख श्रमिकों को रोजगार के अवसर मिले हैं,यह देश में सर्वाधिक है। विभिन्न उद्योगों में लगभग चालीस लाख लोगों को रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। विभागीय कन्वर्जेन्स के माध्यम से बीस लाख श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसके पहले योगी के कैबिनेट ने श्रमिक कामगार रोजगार आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान की थी। इसमें मुख्यमंत्री या उनके द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री को आयोग का अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया था।

कहा गया कि इससे श्रमिकों की आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा पहले से ज्यादा सुदृढ़ होगी। प्रदेश के अंदर ही कौशल विकास कर रोजगार के सुलभ अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। श्रमिकों को अपने ही जिले में काम मिलेगा, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। इसके क्रियान्वयन हेतु प्रदेश स्तर पर बोर्ड और जिलों में भी समिति जिम्मेदार होगी। उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करेगा। उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग का उद्देश्य निजी और गैरसरकारी क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों और कामगारों को उनके हुनर के अनुसार अधिकाधिक रोजगार मुहैया कराना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। योगी का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से तमाम गतिविधियां ठप हो गयीं थी। इसका सबसे अधिक असर श्रमिकों और कामगारों पर पड़ा है। यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी थी। योगी ने इस चुनौती को स्वीकार किया। तत्कालित राहत के लिए श्रमिकों को एक हजार रुपये का भरण पोषण भत्ता,राशन किट, मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाईयों में समायोजन के कदम उठाए गये। मुख्यमंत्री स्वयं इस आयोग के अध्यक्ष है।श्रम एवं सेवा योजन विभाग के मंत्री संयोजक,मंत्री औद्योगिक विकास एवं मंत्री सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उपाध्यक्ष है। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य सचिव है। इसके अलावा कृषि,ग्राम्य विकास मंत्री,कृषि उत्पादन आयुक्त,अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन, मुख्यमंत्री के ओर से नामित औद्योगिक एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि,उनकी ओर से ही नामित उद्योगों के विकास एवं श्रमिकों के हित में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि और विशेष आमंत्री इसके सदस्य होंगे। आयोग श्रमिकों और इकाईयों के बीच फैसिलेटर की भूमिका में होगा। यह आयोग श्रमिकों और उद्योगों के बीच कड़ी का काम करेगा। इस क्रम में वह मांग के अनुसार संबंधित इकाईयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा। साथ ही इंडस्ट्री की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलाएगा।

प्रशिक्षण का यह अवसर औद्योगिक इकाईयों में अप्ररेंटिसशिप के रूप में भी मिलेगा। अन्य राज्यों और देशों से श्रमिकों की जो मांग होगी उसमें भी आयोग फैसिलेटर की भूमिका निभाएगा। किसी भी जगह समायोजित होने वाले श्रमिक को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं भी आयोग उपलब्ध कराएगा। सेवायोजन विभाग की मदद से आयोग प्रदेश के सभी श्रमिकों की दक्षता का डाटा एकत्र करेगा। जिससे किसी औद्योगिक इकाई को उसकी मांग के अनुसार ऐसे श्रमिकों को समायोजित किया जा सके। क्रियान्वयन पर अमल के लिए होगा बोर्ड भी बनाया गया है। इसके लिए औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बोर्ड या कार्यपरिषद भी गठित होगी। निगरानी के लिए सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भी होगी।

आयोग की बैठक हर माह होगी। जबकि बोर्ड की बैठक हर पन्द्रह दिन और जिला स्तरीय समिति की बैठक हफ्ते में एक बार होगी। प्रदेश में पहले से रह रहे कामगारों श्रमिकों की स्किल मैपिंग का कार्य किया जाएगा। जिससे भविष्य में उन्हें भी क्षमता व योग्यता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। समयबद्ध ढंग से कार्य करते हुए केन्द्र व प्रदेश की सभी विकास योजनाओं व कार्यक्रमों के साथ साथ राष्ट्रीय आजीविका मिशन, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना,एक जनपद एक उत्पाद योजना,माटी कला बोर्ड,खादी एवं कुटीर उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई,एफपीओ तथा मनरेगा के तहत कामगारों श्रमिकों को जोड़ा जाएगा। विभिन्न विभागों की निर्माण संस्थाओं एवं निजी औद्योगिक इकाइयों के साथ समन्वय करके अधिक से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाएगा।

आयोग के तहत एकीकृत पोर्टल का भी गठन किया गया है,जिसमें प्रदेश के प्रवासी व निवासी कामगारों श्रमिकों की क्षमता और कौशल के सम्पूर्ण डाटा की इण्ट्री की जाएगी। इस व्यवस्था की लगातार माॅनीटरिंग एवं इसे अद्यतन करते हुए फील्ड स्तर पर डाटा का संग्रहण व इसके समुचित क्रियान्वयन की व्यवस्था बनायी जाएगी। इसके लिए जनपदों में स्थित सेवायोजन कार्यालयों का उपयोग सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, सेवा क्षेत्र,निर्माण प्रतिष्ठानों एवं अन्य राज्यों, जहां पर श्रमिकों का योजन हो रहा है, वहां श्रमिकों के पक्ष में न्यूनतम एवं आधारभूत सुविधाएं जैसे आवास, सामाजिक सुरक्षा,बीमा सम्बन्धी उपादानों आदि की व्यवस्था भी आयोग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। आयोग के तहत किए जाने वाले समस्त कार्यों के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु आयोग से सम्बद्ध एक हाई पावर राज्य स्तरीय कार्यकारी परिषद बोर्ड का गठन किया गया है। इसके अध्यक्ष औद्योगिक विकास आयुक्त होंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोग की पहली बैठक महत्वपूर्ण रही। वित्त मंत्री अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया। यह शीघ्र ही कामगारों श्रमिकों की सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा के सम्बन्ध में सुझाव प्रस्तुत करेगी।

सीएम योगी ने इस कहा कि उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग का गठन कामगारों श्रमिकों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पर्याप्त सेवायोजन और रोजगार के अवसर सृजित करना है। जिससे कामगारों श्रमिकों को उनकी योग्यता व क्षमता के अनुरूप रोजगार दिया जा सके। राज्य सरकार कामगारों श्रमिकों के सामाजिक व आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक महामारी के संक्रमण को रोकने व उससे बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं, उसी प्रकार कार्य योजना के तहत कामगारों श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्यवाही व्यापक स्तर पर की जा रही है। बड़ी संख्या में कामगार श्रमिक आए हैं,जिनमें से चौतीस लाख कामगारों श्रमिकों की स्किल मैपिंग की गई है। उन्हें उनकी क्षमता व योग्यता के अनुसार निरन्तर रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

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