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जानें कैसे काम करती है भारत में आई रूस की वैक्सीन Sputnik V?

भारत में बीते कुछ सप्ताीहों में कोरोना पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसके चलते नाइट कर्फ्यू के साथ-साथ लॉकडाउन भी लगाया गया है और साथ ही साथ आवाजाही तथा गतिविधियों पर कठोर नीति अपनाई गई है। इस बीच स्पूतनिक वी वैक्सीन भारत पहुंच गई है। अप्रैल महीने में भारत में रूसी कोरोना टीके को स्पूतनिक वी इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन (ईयूए) यानी आपातकालिक प्रयोग का अधिकार प्राप्त हो गया था। यह भारत द्वारा खुद के क्लिनिकल ट्रायल्स पूरे करने और अपने क्लिनिकल ट्रायल्स के डाटा और रूसी डाटा का इस्तेमाल कर स्पूतनिक को पंजीकृत करने के बाद हुआ है।

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की रफ्तार प्रतिदन बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में स्पुतनिक वी वैक्सीन के भारत आने से तीसरे चरण के वैक्सीनेशन में तेजी देखने को मिलेगी। भारत में 18 से 44 साल के लोगों के लिए तीसरे चरण का वैक्सीनेशन 1 मई से शुरू हो गया है। तीसरे चरण के लिए भारी संख्या में लोगों ने अपना पंजीकरण करवाया है और इन्हें टीका लगना शुरू भी हो गया है। इस टीके को पंजीकृत करने वाले देशों में भारत की आबादी सबसे ज्यादा है। स्पूतनिक वी के इस्तेणमाल को मंजूरी देने वाले अन्यर देशों में अर्जेंटिना, बोलिविया, हंगरी, यूएई, ईरान, मेक्सिको, पाकिस्ता न, बहरीन और श्रीलंका शामिल हैं।

Sputnik V All You Need To Know About Russia's Sputnik V, India's Third Covid Vaccine

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एवं एस्ट्रानजेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा उत्पादित कोविडशील्ड के बाद रशिया का स्पूतनिक वी तीसरा टीका है, जिसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिये अनुमोदित किया है। यह अच्छी तरह से अध्ययन किये गये ह्यूमन एडीनोवायरल वेक्टीर-बेस्डे प्लेटफॉर्म पर आधारित विश्व का पहला पंजीकृत टीका है। गैमेलेया नैशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित यह टीका सुरक्षित और परीक्षण किये गये ह्यूमन एडीनोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ. गजेन्द्र सिंह के अनुसार, स्पूॉतनिक वी कोरोनावायरस के विरूद्ध दो वेक्टार वाला टीका है। गैम-कोविड-वैक के नाम से भी ज्ञात यह टीका सीवीयर एक्युनट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (सार्स-कोव-2) स्पावइक प्रोटीन के एक्सडप्रेशन के लिये वेक्टतर्स के तौर पर एडीनोवायरस 26 (एड26) और एडीनोवायरस 5 (एड5) का इस्तेमाल कर एक हेटरोलोगस रिकॉम्बिनेंट एडीनोवायरस एप्रोच का प्रयोग करता है। दो अलग सीरोटाइप्स 21 दिनों के अंतर में दिये जाते हैं, जिनका इस्तेमाल आबादी में पहले से मौजूद एडीनोवायरस इम्युनिटी से जीतने के लिये किया जाता है। अब तक विकसित हो रहे प्रमुख कोविड टीकों में से केवल गैम-कोविड-वैक इस एप्रोच को अपनाता है।

Coronavirus Vaccine: Limited Sputnik V Doses By April-End In India, 850 Million Doses Annually

दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में से एक-लांसेट ने स्पूतनिक वी के क्लिनिकल ट्रायल्स के फेज 3 के परिणाम प्रकाशित किये हैं, जो इस टीके का प्रभाव साबित करते हैं। पेपर ने सकारात्मक परिणामों की पुष्टि की है और विभिन्न सबग्रुप्स3 में इस टीके की सुरक्षा और प्रभाव का ज्योदा डाटा दिया है। उसने यह भी कहा है कि यह टीका कोविड-19 के गंभीर मामलों में संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जो फाइजर के 75 फीसदी अनुपात से ज्यादा है। रूसी टीका 97.6 फीसदी प्रभावी है।

डॉ निरंजन पाटिल, वैज्ञानिक व्यवसाय प्रमुख-संक्रामक रोग, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने बताया कि स्पूतनिक वू को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है और एक आम रेफ्रीजरेटर में भी। इस प्रकार इसके लिये कोल्डं-चेन के अतिरिक्त अधोरंरचना में निवेश करने की जरूरत नहीं है। कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तरह, लोगों को इसे भी दो बार लगाया जाता है। तभी इंसान में कोरोना के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोधक बनता है। इस वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है। ये बातें एक जर्नल- द लेंसेट के दो फरवरी 2021 के अंक में कही गई हैं। उम्मीद है कि स्पूतनिक वी, भारत में वैक्सीन की कमी को तेजी से पूरा करेगा।

एक राष्ट्री य प्रतिरक्षण कार्यक्रम में किसी टीके की प्रस्तुति से पहले उसके प्रभाव, सुरक्षा, इम्युनोजेनिसिटी और उत्पादन के संदर्भ में विनियामक और सार्वजनिक स्वापस्यर नीति अनुमोदनों के लिये जांच की जरूरत होती है। वैज्ञानिक प्रमाण के सहयोग से स्पूतनिक वी एक सक्षम टीके के लिये उपर्युक्त सभी अनिवार्यताओं पर खरा है। इसलिये यह सही दिशा में उठाया गया एक महत्वापूर्ण कदम है। अब तक स्पूनतनिक वी को विश्व के 60 से ज्या दा देशों में स्वीकृति मिल चुकी है, जिनकी कुल आबादी 1.5 अरब से ज्यादा है। भारत में स्पूतनिक वी लगना जल्दी ही शुरू हो सकता है, जिससे देश की टीका रणनीति को कारगर बनाने में मदद मिलेगी।

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