लखनऊ। आज को खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज में शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा “भारतीय ज्ञान परंपरा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विशेष संदर्भ में” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमे फिरोज गांधी कॉलेज, रायबरेली के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्र मुख्य वक्ता के रुप मे उपस्थित हुये।
व्याख्यान में बदलते परिदृश्य में प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुनर्निर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की महत्वपूर्ण भागीदारी को स्पष्ट किया गया, भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्वपूर्ण अंगों जैसे मानवता, विश्व बंधुत्व,सर्वे भवंतु सुखिनः आदि भारतीय संस्कृति के वाहक तत्वों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा व्यावहारिक स्वरूप प्रदान किया गया है जिससे वर्तमान समाज मे आए तमाम नकारात्मक परिवर्तनों को समाप्त किया जा सकता है।
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मुख्य वक्ता ने प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति को स्पष्ट करते हुए बताया कि भारत शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों भा तथा रत से हुई है जिसका अर्थ होता है, ऐसे लोग जो ज्ञान में रत रहते हैं अर्थात भारत शब्द ज्ञान का ही प्रतीक है। प्राचीन भारतीय संस्कृति शास्त्र एवं शस्त्र की परंपरा में विश्वास करती थी जो भारत की अस्मिता को शक्ति एवं गौरव प्रदान करता था और समय के साथ इस परंपरा के हनन होने से ही भारत सदियो की गुलामी में जकड़ा रहा।
अंग्रेजी काल में ब्रिटिश सरकार की नीति ने हमारे अंदर हीन भावना का प्रवाह किया। मुख्य वक्ता ने स्पष्ट किया कि प्राचीन भारतीय शिक्षा परंपरा शोधन की प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए संस्कार को प्रभावी बनाती थी और समाज को क्षति पहुंचाने वाले तत्वों को नष्ट करती थी।
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महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो अंशु केडिया ने कहा कि प्राचीन समय में शिक्षा को राज्य एवं समाज द्वारा प्रश्रय दिया जाता था जो अब धीरे धीरे कम होता जा रहा है। शिक्षा पर पहुंच सभी की बनी रहे इसके लिए राज्य और समाज का सहयोग जरूरी हैं। कार्यक्रम में शिक्षाशास्त्र विभाग की शिक्षिकाएं डॉ रंजीत कौर, डॉ शगुन रोहतगी, डॉ अनामिका सिंह एवं रुचि यादव, विजेता दीक्षित आदि शिक्षिकाओं के साथ महाविद्यालय की छात्राएं भी सम्मिलित हुई।