औरैया। जन समुदाय में जागरूकता लाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि (30 जनवरी) पर कुष्ठ निवारण दिवस मनाया जाता है उन्होंने अपने जीवन में कुष्ठ रोगियों के प्रति निस्वार्थ सेवा की थी। जनपद में लोगों को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के लिए 30 जनवरी से 13 फरवरी 2021 तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा और इस अभियान की शुरुआत 50 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय स्थित जिला कुष्ठ विभाग से की जायेगी।
कुष्ठ रोगियों के बीच एमसीआर चप्पलों और फलों का वितरण भी किया जायेगा। जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. सुधांशु दिक्षित ने बताया कि इस अभियान में कुष्ठ के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए दीवार लेखन, नुक्कड़ नाटक, क्विज प्रतियोगिता, जनसंदेश, पम्पलेट्स इत्यादि का सहारा लिया जाएगा।
वही 30 जनवरी को जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों, नगरों व वार्डों में कुष्ठ जागरुकता के लिए जिलाधिकारी का संदेश पढ़ा जाएगा तथा सभी ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधानों का संदेश उनके द्वारा पढ़ कर लोगों को सुनाया जाएगा। उन्होने बताया कि इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर कुष्ठ रोगियों की खोज करेंगी। जिला कुष्ठ रोग सलाहकार डॉ. विशाल ने बताया कि जनपद में वर्तमान में जनपद में कुल सक्रिय 46 मरीज हैं| इस माह 14 लोगों को इस रोग से मुक्ति मिली है।
जिला कुष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुष्ठ रोग अन्य रोगों की तरह एक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरियम लैप्री नमक जीवाणु से होता है और यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से चमड़ी व तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। उन्होने बताया कि यदि समय से जांच और इलाज किया जाए तो यह बीमारी ठीक हो जाती है। यह कोई पूर्व जन्म का पाप नहीं हैं। बशर्ते इस बीमारी के लक्षणों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। ताकि इस बीमारी से होने वाली दिव्यांगता से लोगों को बचाया जा सकें।
पोसीवेस्लरी कुष्ठ रोग- शरीर पर 5 या उससे कम दाग हों तो उसे इस श्रेणी में डाला जाता है। इस रोग में इन्फेक्शन कम होता है और इसका इलाज 6 माह में पूरा हो जाता है।
मल्टीवेस्लरी कुष्ठ रोग- शरीर पर 5 से अधिक धब्बे होने पर उसे इस श्रेणी में रखा जाता है। यह नस को भी प्रभावित करता है, जिससे नस में मोटापन या कड़ापन आता है। इसका इलाज 12 माह चलता है। सामान्य त्वचा की तुलना में त्वचा पर थोड़े लाल, गहरे या हल्के चिन्ह/धब्बे हो।
यह चिन्ह/धब्बे सुन्न हो सकते हैं तथा यहां तक कि यह त्वचा के प्रभावित हिस्से पर होने वाले बालों के झड़ने की समस्या को भी पैदा कर सकते है। हाथ, उंगली या पैर की ऊँगली का सुन्न होना। आँखों की पलकों के झपकने में कमी।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर