- Published by- @MrAnshulGaurav
- Sunday, July 24, 2022
लखनऊ। Luacta अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय और महामन्त्री अंशु केडिया ने शिक्षक उत्पीड़न के आरोप में प्राचार्या हिन्दू कन्या महाविद्यालय, डॉ. सीमा सिंह, सीतापुर को पत्र लिखा है. डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि संघ के संज्ञान मे आया है कि इस महाविद्यालय की प्राचार्य द्वारा शिक्षिकाओ का विभिन्न प्रकार से उत्पीड़न किया जाता है.
साथ ही, यह भी संज्ञान मे आया है कि प्राचार्य स्वयं महाविद्यालय से अनुपस्थित रहती है तथा बाद मे उपस्थित पंजिका पर हस्ताक्षर करती है, लखनऊ विश्वविद्यालय की परीक्षाओ मे इनके द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य किया गया, किन्तु शिक्षिकाओ को मूल्यांकन कार्य करने हेतु अनुमति नही प्रदान की गई .
विश्वविद्यालय की परीक्षा के कार्य से किसी शिक्षिका को रोकना अनुशासनहीनता की श्रेणी मे आता है. महाविद्यालय मे वेतन का आहरण समय से नही होता है तथा वेतन कई महीने बाद आहरित होता है. नई पेंशन योजना से आक्षादित शिक्षिकाओ के एन पी एस की कटौती भी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी लखनऊ के निर्देशों के बाबजूद अद्यतन लंबित है. यह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी मे आता है.
प्रोन्नति के लिए आवश्यक ओरिएंटेशन एव रिफ्रेशर कोर्स की अनुमति नही दी जाती है.जबकि यू जी सी के इस विषय मे सख्त निर्देश है. इन निर्देशो का उल्लंघन किया जा रहा है. स्टेशन लीव के नाम पर आप द्वारा वेतन रोकने और इंक्रीमेंट रोकने की धमकी दी जाती है अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है एवं ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता है, जिसे शब्दों मे लिखना अत्यंत दुष्कर कार्य है. सीसीएल शिक्षिकाओं को नही दिया जाता है. डी ए और इंक्रीमेंट रोकने की आप धमकी देती है, जो आपके अधिकार क्षेत्र से परे है. परिनियम मे उल्लिखित नियमो के विपरीत कार्य एव आचरण किया जाता है. राज्यपाल के अतिरिक्त आपके विरुद्ध कोई कार्यवाही नही कर सकता है. ऐसा प्राचार्य द्वारा दावा किया जाता है.
इसके अतिरिक्त कई अन्य तथ्य भी संघ के संज्ञान मे आये है. आपके कारण महाविद्यालय मे पठन पाठन का का माहौल खराब हो रहा है एवं शिक्षिकाओ के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. प्राचार्य का यह आचरण संगठन को आंदोलन के लिए बाध्य करता है.
इस पत्र के माध्यम से आगाह किया गया है कि शिक्षिकाओ के उत्पीड़न की कार्यवाही बंद करने का कष्ट करें, अन्यथा संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा, जिसमें धरना, कार्य बहिष्कार, परीक्षाओ का बहिष्कार भी हो सकता है. यदि आपके कारण किसी भी प्रकार का कोई आंदोलन होता है और शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता है तो उसका समस्त उत्तरदायित्व आपका होगा.