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मलेरिया दिवस : जिले में साल-दर-साल कम हो रहा मलेरिया

• साफ-सफाई का रखे ध्यान, मलेरिया से करें बचाव

• वर्ष 2023 में सिर्फ पाँच पाजिटिव, इलाज से हुए स्वस्थ

• लार्वा स्रोतों को नष्ट कराना, एंटीलार्वा का छिड़काव व फागिंग बेहद जरूरी

• इस बार की थीम है “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार, क्रियान्वयन”

औरैया। मलेरिया (Malaria) को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य विभागों की सक्रियता और टीम भावना से काम करने से जनपद में लगातार मलेरिया के केस में कमी आ रही है।स्वास्थ्यकर्मी गर्मी का मौसम शुरू होते ही बीमारियों को रोकने के लिए सक्रिय हो गए हैं। जिले में यदि मलेरिया के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2023 में जनवरी से लेकर मार्च तक सिर्फ पाँच पाजिटिव केस मिले हैं। इलाज से वह भी स्वस्थ हो चुके हैं. यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा अर्चना श्रीवास्तव का।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार व क्रियान्वयन” रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में निवेश करना, आधुनिक तकनीकों और अनुसंधान कर नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना तथा उसको जमीनी स्तर पर लागू करना है। उन्होंने कहा की पाँच साल से लगातार मलेरिया के केसों मे गिरावट आना जिले के लिए शुभ संकेत है| उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। उनका प्रयास है की उससे पहले जनपद मलेरया से मुक्त हो जाए।

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संचारी रोगों के नोडल व जिला मलेरिया अधिकारी डा राकेश सिंह ने बताया कि इस अवसर पर जनपद में मलेरिया की रोकथाम के लिए विभाग की ओर से हर रविवार मच्छर पर वार अभियान के तहत फागिंग कराई जाती है ताकि मलेरिया से बचाव हो सकें। उन्होंने बताया कि गर्मी बढ़ते ही मच्छरों की तादाद अचानक से बढ्ने लगती है जो कई प्रकार की संक्रामक बीमारियाँ घर पर लाती है। इन संक्रामक बीमारियों में से एक है मलेरिया जिसका समय रहते इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी हो सकती है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुये लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।

मलेरिया दिवस

स्वास्थ्य विभाग से मिलें आँकड़ों के अनुसार जनपद में वर्ष 2018 में कुल 711 लोग मलेरिया से ग्रसित मिलें। वर्ष 2019 में 687, वर्ष 2020 में 81 ,वर्ष 2021 में 72, वर्ष 2022 में 32 और इस वर्ष मार्च 2023 तक 5791 स्लाइड्स में कुल पाँच मरीज मलेरिया से ग्रसित थे। जिनको स्वास्थ्य सुविधाए देकर स्वस्थ किया गया। वर्तमान समय में सभी मरीज स्वस्थ है।

औरैया शहर के नारायणपुर क्षेत्र निवासी मयूर राठौर बताते हैं की हमारे क्षेत्र में अक्सर नाली का पानी जमा हो जाता था जिसके कारण मच्छर बहुत पनपते थे। पर स्वास्थ्य विभाग की टीम को जब इसके बारे में बताया गया तब फ़ौरन टीम आयी और नगर निगम द्वारा साफ़ सफाई करवाई गयी अब यहाँ नियमित फॉगिंग होती है जिसका नतीजा है की मच्छर से होने वाली बिमारियों का खतरा कम है हमारे क्षेत्र में।

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सुविधा : मलेरिया की जांच व उपचार की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी शहरी व ग्रामीण सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर उपलब्ध है। आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर संभावित रोगी की पहचान कर किट से त्वरित जांच का रही हैं। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर रोगी का सम्पूर्ण उपचार किया जा रहा है।

क्या है लक्षण-सिर में तेज दर्द होना, उल्टी होना या जी मचलना, ठंड के साथ ज़ोर कंपकंपी होना और कुछ देर बाद सामान्य हो जाना, कमजोरी और थकान महसूस होना, शरीर में खून की कमी होना, मांसपेशियों में दर्द होना एवं बुखार उतरते समय पसीना आना आदि लक्षण होते है।

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क्या है मलेरिया- मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो एनाफिलीस मादा मच्छर के काटने से फैलती है। इससे निकालने वाला प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम शरीर के ब्लड के साथ मिलने लगता है जिससे धीरे-धीरे खून की कमी होने लगती है। मलेरिया के कीटाणु दो तरह होते है एक तो प्लाज्मोडियम फ़ेल्सीपेरम (पीएफ़) जो कभी-कभी जानलेवा हो सकता है, वहीं दूसरा प्लाज्मोडियम वाईवेक्स (पीवी) यह सामान्य मलेरिया होता है। इन दोनों बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता द्वारा ठीक किया जा सकता है। सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मलेरिया का निःशुल्क उपचार किया जाता है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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