- Published by- @MrAnshulGaurav
- Sunday, May 08, 2022
भारतीय दर्शन में – मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: का सन्देश दिया गया है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने मानव रूप में अवतार लिया था। उन्होंने भी अपने आचरण में इस मर्यादा का पालन किया। गोस्वामी जी लिखते है-
प्रात काल उठी के रघुनाथा,
मातु पिता गुरु नावहि माथा।
यह उनकी दिनचर्या में सम्मलित था। इसे एक दिन में सीमित रखना संभव नहीं है। हमारे शास्त्र कहते है-
नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।
अर्थात- माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई आश्रय नहीं है। माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय नहीं है।
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल भारतीय संस्कृति के अनुरूप वर्तमान पीढ़ी को सन्देश देती है। वह माताओं बेटियों के स्वास्थ्य अभियान में सक्रिय योगदान करती है। आंगनबाड़ी के माध्यम से भी उनका प्रयास चलता है। शिक्षण संस्थाओं को भी वह इस कार्य में योगदान हेतु प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत महान संस्कृति और परम्पराओं वाला देश है,जहां लोग अपनी माँ को पहली प्राथमिकता देते हैं। मातृत्व ईश्वरीय देन है। धरती के प्रत्येक जीव का अस्तित्व माँ के कारण है। माँ हम सभी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आनंदीबेन पटेल ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के संस्थान आई.ई.टी.में इसके आविर्भाव दिवस एवं विश्व मातृ दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम में सम्बोधित किया। राज्यपाल ने वंचित वर्ग के बच्चों को पढ़ाने वाली परमार्थ संस्था की पांच छात्राओं एवं कार्यकर्ताओं का अभिनन्दन किया।
दो अनाथ बालिकाओं,पांच महिला निर्माण मजदूर, ग्यारह आंगनवाड़ी कार्यकर्ती,आशा बहुएं एवं नर्स,दो महिला ग्राम प्रधानों,दो स्वयं सहायता समूह की महिलाओं तथा स्वैच्छिक संस्थाओं का सम्मान व अभिनन्दन तथा पांच गर्भवती महिलाओं की गोद भराई एवं पांच शिशुओं का अन्नप्राशन किया।