राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल का जीवन स्वयं में नारी सशक्तिकरण की मिसाल है। बाल्यकाल से ही उनमें आगे बढ़ने का जज्बा था। जिस माध्यमिक विद्यालय में उनका एडमिशन हुआ,उसमें मात्र तीन बालिकाएं थी। आनन्दी बेन ने उनका भी मनोबल बढ़ाया। केवल अध्ययन ही पूर्ण नहीं किया,बल्कि वह स्पोर्ट की भी चैंपियन रही।
बाद में शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होने उल्लेखनीय कार्य किये। ऐसे में नारी सशक्तिकरण पर उनके विचारों का महत्व बढ़ जाता है। राज्यपाल व कुलाधिपति के रूप में भी वह बालिकाओं को पढ़ने व साहस के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण का सीधा मतलब महिलाओं को सामाजिक हाशिए से हटाकर समाज की मुख्यधारा में लाना है।
असमानता अनुचित
सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। उनमें पराधीनता और हीन भावना को समाप्त होता है। महिलाएं शक्तिशाली बनती हैं तो वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं। महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों और देश के विकास में अपना योगदान दें। आनंदीबेन पटेल ने नई दिल्ली में आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद के उद्घाटन समारोह में वीडियो कांन्फ्रेसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया।
महात्मा गांधी के प्रसंगिक विचार
राज्यपाल ने महात्मा गांधी के विचार को आज भी प्रासंगिक बताया। महात्मा गांधी भी महिला अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे। भारतीय राजनीति में गांधी के पर्दापण के साथ महिलाओं के विषय में एक नये नजरिये की शुरूआत हुई। नारी के संबंध में गांधी जी की समन्वित सोच व सम्मानपूर्ण भाव का आधार रहा है। वह महिलाओं को एक ऐसी नैतिक शक्ति के रूप में देखना चाहते थे,जिनके पास अपार नारीवादी साहस हो। जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं होगा,वह समाज आगे नहीं बढ़ सकता। हमारे ऋषियों ने भी यही सन्देश दिया है। आनन्दी बेन ने कहा कि महिला अपने आप में एक ऐसी संस्था है,जो संस्कारवान समाज का निर्माण करती है। महिलाएं ही बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान महिला सशक्तिकरण की बुनियाद के रूप में है। आनन्दी बेन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में गरीबी,अशिक्षा, स्वच्छता तथा कुपोषण जैसे मुद्दों पर अनेक कदम उठाये हैं। कुपोषण देश के लिए एक समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए ही देश में बड़े स्तर पर आंगनवाडी केन्द्रों और मिड डे मील कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री की पहल पर भारत को कुपोषण से मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है। कुपोषण को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि हमें गर्भवती महिलाओं, बच्चों और किशोरियों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक करना होगा।