प्रयागराज। मैनपुरी में छात्रा से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय (High Court) ने पुलिस की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए सूबे के पुलिस महानिदेशक (DGP) मुकुल गोयल को निष्पक्ष जांच कर दो माह में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह की तरफ से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस असल में बरामदगी करने की बजाय हथियारों को प्लांट करती है। बैलेस्टिक रिपोर्ट मैच नहीं करने से अपराधी बरी होते हैं। न्यायालय ने मार्मिक टिप्पणी करते हुए कहा “रुपया ही सब कुछ नहीं होता। स्वर्ग कहीं और नहीं है। सबको कर्मों का फल यहीं भुगतना पड़ता है। जांच में देरी से भी साक्ष्य नहीं मिल पाते। अपराधी जानते हैं कि कुछ नहीं होगा इसलिए वे बेखौफ होकर आपराधिक घटनाएं करते रहते हैं।”
उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत पर बल दिया। न्यायालय ने कहा अधिकांश विवेचना कांस्टेबल करता है। दारोगा कभी कभी ही विवेचना करने के लिए जाता है। मैनपुरी मामले में विवेचना ठीक से नहीं हुई। डीजीपी ने न्यायालय को बताया कि मैनपुरी की घटना में अपर पुलिस अधीक्षक एवं उप पुलिस अधीक्षक पर कार्रवाई की गई है। उच्च न्यायालय ने अनुपालन रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि निष्पक्ष विवेचना नहीं होने से सजा दिलाये जाने का प्रतिशत 6.5 है जबकि विदेशों में यह दर 85 फीसद है। पुलिस द्वारा सही विवेचना नहीं होने से अपराधी छूट जा रहे हैैं। घटना सुबह पांच से छह बजे हुई लेकिन परिवार को सूचना नहीं दी। इस घटना में पुलिस की भूमिका ठीक नहीं रही है।
गौरतलब है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश व न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने लड़की की मौत को लेकर न्यायालय में हाजिर डीजीपी से बुधवार को कुछ सवाल किया लेकिन वह उसका सही जवाब नहीं दे सके। इस पर अदालत ने कहा कि लगता है कि डीजीपी ने इस केस की फाइल को नहीं पढ़ा है। न्यायालय ने कहा कि जरूरी है कि वह 24 घंटे प्रयागराज में रहे और घटना की सही जानकारी के साथ फिर गुरूवार को हाजिर हो।
न्यायालय को अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने घटना का वीडियो भी दिखाया। पुलिस के अनुसार 16 वर्षीय छात्रा ने फांसी लगा ली थी लेकिन उसके गुप्तांग व अंडर गारमेंट पर स्पर्म पाये गये है। इसके बावजूद पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में विफल रही है। 24 अगस्त 2021 के आदेश के अनुपालन में केस डायरी के साथ एसआईटी टीम के सदस्य उच्च न्यायालय में हाजिर हुए। बताया 16 सितंबर 2019 की घटना की एफआईआर 17 जुलाई 2021 को दर्ज कराई गई है।
अदालत ने कहा कि तीन माह बाद भी गंभीर आरोप के बावजूद अभियुक्तों से पूछताछ नहीं की गई। विवेचनधिकारी ने देरी का कारण भी नहीं बताया। यह छात्रा स्कूल में फांसी पर लटकी मिली थी। मां ने परेशान करने व मारपीट कर फांसी पर लटकाने का गंभीर आरोप लगाया है। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी के निशान के शिवाय शरीर पर चोट नहीं मिली। पंचनामा की फोटोग्राफी नहीं है।