लखनऊ। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता सुधार के लिए नैक मूल्यांकन कराने की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि नैक मानकों के अनुरूप गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के प्रयास करने चाहिए। विश्वविद्यालय अपने कार्यों की गुणवत्ता एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने में नवीनतम शोधों के साथ विस्तार करे।
आनंदीबेन पटेल ने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया का चतुर्थ दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होने विद्यार्थियों से कहा कि दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, इसे समझकर स्वयं को निरंतर अपडेट भी करते रहें। कहा कि नई राष्ट्रीय नीति से देश में रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार करने पर जोर दिया गया है।प्रदेश और केन्द्र सरकार की कई योजनाएं ऐसी हैं, जिनका लाभ उठाकर वे अपना स्टार्ट अप प्रारम्भ कर सकते हैं।
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राज्यपाल ने मटकी में जलधारा प्रवाहित कर जल संरक्षण का संदेश दिया। कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है, वो उतने जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करें। केन्द्र सरकार द्वारा “नमामि गंगे परियोजना” के माध्यम से सार्थक प्रयास किए गए हैं। भारत की इस पहल को दुनिया भर में सराहना मिल रही है और इसेे दुनिया की शीर्ष दस पहलों में शामिल किया गया है। राज्यपाल ने देश में मोटे अनाज के घटते उत्पादन और प्रयोग पर चिन्ता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि स्वास्थय की दृष्टि से इनके लाभकारी होने के कारण आज दुनिया में इसकी मांग बढ़ी है। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर इसके प्रयोग के लाभ और व्यंजनों के प्रचार-प्रसार कराने को कहा। उन्होंने भारत में जी-20 देशों की बैठकों की जानकारी देते हुए बताया कि ये बैठकें मानवता के कल्याण के लिए “वसुधैव कुटुम्बकम” की थीम पर आधारित हैं। इसके इवेंट्स में विश्वविद्यालयों को सहयोग देना चाहिए।