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लोकसभा चुनाव को मोदी बनाम मायावती बनाने की तैयारी

लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में मायावती विपक्ष का प्रधानमंत्री चेहरा हो सकती हैं। विपक्ष के कई नेता भी बसपा सुप्रीमो के लिये रायशुमारी करते दिख रहे हैं। मायावती भी इस अवसर को अपने लिये खास मान रही हैं। इसलिये वह फूंक-फूंककर कदम रख रही हैं। बात कांग्रेस की हो या समाजवादी पार्टी की सभी बसपा को साथ लेकर चलना चाहते हैं। इसके पीछे की वजह साफ़ है मायावती का कोर वोटर। 2014 के लोकसभा चुनाव में भले ही बसपा का खाता नहीं खुला था, फिर भी 30 से अधिक सीटों पर पार्टी रनर-अप रही थी।

मायावती का समर्थन,जीत तय

मायावती जिस दलित समाज की नुमाइंदगी करती हैं, देश में उसकी संख्या करीब 25 फीसदी है। इस वक्त वह देश की सबसे बड़ी दलित नेता के तौर पर जानी जाती हैं। मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीतकर उन्होंने साबित कर दिया था कि उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी उनका मजबूत वोट बैंक है। हाल ही में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा का एक विधायक जीतने में सफल रहा। ऐसे में माना जा रहा है कि गठबंधन के जिस प्रत्याशी को बसपा का समर्थन मिलेगा, उसकी जीत तय है। गोरखपुर-फूलपुर के बाद कैराना और नूरपुर उपचुनावों में भी कमोवेश ऐसा ही देखने को मिला था।

विपक्ष की पहली पसंद मायावती

मायावती की छवि एक सख्त प्रशासक और गंभीर राजनेता की है,। इसके अलावा ऐसा पहली बार होगा जब किसी दलित नेता को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा रहा है। विपक्षी दल इसे भी भुनाने की पूरी कोशिश करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मायावती को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने से विपक्ष की जीत का प्रतिशत काफी हद तक बढ़ जायेगा। इसलिये मायावती विपक्ष की पहली पसंद बन सकती हैं।

एंटी महिला या एंटी दलित

विपक्ष अगर मायावती को गठबंधन का नेता घोषित करता है, तो बीजेपी के लिये मुश्किलें बढ़ना लाजमी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से राहुल गांधी के खिलाफ हमलावर हो रहे हैं, ऐसा मायावती के खिलाफ फ़िलहाल सम्भव नहीं है। क्योंकि ऐसा करने पर एंटी महिला या एंटी दलित होने का खतरा बढ़ सकता है,जिसका मतलब दलित समाज की नाराजगी होगा।

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अन्य राज्यों से बेहतर

खास बात यह भी है कि मायावती उत्तर प्रदेश से आती हैं,जहां से होकर ही दिल्ली का रास्ता जाता है। उत्तर प्रदेश में अकेले लोकसभा की 80 सीटें हैं। ऐसे में यदि मायावती को आधी सीटें भी मिल जाती हैं तो वह अन्य राज्यों के नेताओं से बेहतर स्थिति में होंगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती को विपक्ष का पीएम चेहरा घोषित करने से गठबंधन को बड़ा फायदा हो सकता है।2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस किसी भी कीमत पर बीजेपी को रोकना चाहती है।

कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने से क्षेत्रीय दलों को तो उतना नुकसान नहीं होगा, जितना कांग्रेस को होगा। ऐसे में कांग्रेस बहुत ज्यादा जिद करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस भी मायावती के नाम पर सहमत हो सकती है।

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अखिलेश यादव को भी मायावती

विपक्ष के तमाम वो दल जो कांग्रेस को पसंद नहीं करते हैं, उनके लिये मायावती एक बेहतर विकल्प हो सकती हैं। इसलिये पहले से ही कई दल मायावती के नाम को आगे बढ़ने में जुट गए हैं। अखिलेश यादव को भी मायावती के नाम पर आपत्ति नहीं होगी। क्योंकि वह मायावती को केंद्र में भेजने के बदले खुद यूपी में गठबंधन का चेहरा बनाना चाहेंगे।

अतुल मोहन
अतुल मोहन

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