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National Safe Motherhood Day : गर्भवती के सुरक्षित प्रसव व जांच पर न आए आंच

कानपुर नगर। कोविड एक बार फिर पांव पसार रहा है, ऐसे में आम जन के संक्रमण के खतरे के साथ गर्भवती के बेहतर स्वास्थ्य के लिए परिवार की भूमिका अहम हो जाती है। कोविड (Covid) अनुकूल व्यवहार को अपनाकर, समय से जांच, बेहतर खानपान और उचित दवाइयों के साथ ही एक सुरक्षित मातृत्व की कल्पना की जा सकती है। गर्भवती के समुचित देखभाल और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National Safe Motherhood Day) मनाया जाता है।

👉राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस : गर्भवती की करें खास देखभाल ताकि जच्चा-बच्चा बनें खुशहाल

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने कहा की मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है। इसके तहत हर जरूरी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। गर्भवती की प्रसव पूर्व मुफ्त जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहां एमबीबीएस चिकित्सक गर्भवती की सम्पूर्ण जांच नि:शुल्क करती हैं। मामले में जटिलता नजर आने पर महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है। आवश्यकता पड़ने पर हायर सेंटर भी रेफर करते हैं।

National Safe Motherhood Day

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ एसके सिंह ने बताया कि पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना
योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं। इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं। प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम है तो यदि किसी कारणवश मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है तो मातृ मृत्यु की समीक्षा भी होती है। सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुँचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है।

गर्भवती महिलाओं के तीन डी हो सकते है ख़तरनाक

क्वालिटी मेंटर बताती है कि गर्भावस्था के लिए तीन डी यानि तीन डेले (देरी) बहुत ख़तरनाक हो सकती हैं-

1- निर्णय लेने में देरी
2- यातायात में देरी
3- गुणवत्ता पूर्ण देखभाल में देरी

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ सीमा श्रीवास्तव का कहना है कि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चल रहीं हैं। इनका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें। आशा कार्यकर्ता इसमें अहम् भूमिका निभा रहीं हैं। उनका कहना है कि मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान का प्रयास किया जा सके।

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इसके साथ ही गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखे और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करे, आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार करे। प्रसव का समय नजदीक आने पर सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर लेना चाहिए और मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एम्बुलेंस का नम्बर याद रखना चाहिए। समय का प्रबन्धन भी अहम होता है, क्योंकि एम्बुलेंस को सूचित करने में विलम्ब करने और अस्पताल पहुँचने में देरी से खतरा बढ़ सकता है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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